फर्जी आधार कार्ड से नंबर बंद कराकर उड़ाए 16 लाख, बंद नंबर के एवज में जारी कराई थी नई सिम

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फर्जी आधार कार्ड तैयार कर व्यापारी के बैंक खाते में रजिस्टर्ड सिम को पहले बंद कराया और उसके बाद बदमाशों ने नई सिम इश्यू करवाकर व्यापारी बैंक खाता हैंक कर 16 लाख रुपए से ज्यादा की राशि उडा दी। बदमाशों ने यह राशि अलग-अलग बैंकों के खातों में ट्रांसफर कर दिए।

मामले में सायबर पुलिस ने दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। गिरोह के मास्टरमाइंड की सरगर्मी से तलाश की जा रही है। सायबर पुलिस को वारदात में नाइजीरिया के लोगों के शामिल होने की भी जानकारी मिली है। एसपी सायबर क्राइम विकास कुमार शाहवाल ने बताया कि 11 अप्रैल को भोपाल में रहने वाले मुकेश कावरे ने एक शिकायत दर्ज कराई थी। उद्योगजगत से जुड़े व्यापारी मुकेश ने बताया कि किसी ने उनके ओरिएंटल बैंक के खाते को हैक कर इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से 16 लाख 34 हजार रुपए निकाल लिए हैं।

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मुकेश ने बताया कि 9 अप्रैल को उनके बैंक खाते में रजिस्टर्ड सिम अचानक बंद हो गई थी। उसे उन्होंने 11 अप्रैल को पुनः चालू करवाया था। लेकिन इस बीच उनके खाते से रकम उड़ा ली गई। शिकायत की जांच के दौरान मुकेश के बैंक खाते में रजिस्टर्ड सिम की जानकारी बीएसएनएल दफ्तर से जुटाई गई। पता चला कि 9 अप्रैल को अज्ञात व्यक्ति ने मुकेश के नाम से फर्जी आधार कार्ड प्रस्तुत कर सीहोर स्थित बीएसएनएल ऑफिस से सिम बंद कराकर नई सिम जारी कराई थी। मुकेश इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग करते हैं। उनका यूजर नेम,पासवर्ड चोरी कर मुकेश का खाता हैक किया गया।

इसके बाद जारी कराई गई सिम से ओटीपी पता कर मुकेश के खाते से 16 लाख 34 हजार रुपए उड़ा लिए गए। यह राशि यस बैंक, इलाहाबाद बैंक, केनरा बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक के विभिन्न खातों में अलग-अलग राज्यों में ट्रांसफर किए गए।

सायबर थाना प्रभारी लोकपाल सिंह भदौरिया ने बताया कि इस मामले में 20 जून को कोटक महिंद्रा बैंक के खाता धारक मुंबई निवासी अनुराग सालवेकर को गिरफ्तार किया गया। अनुराग ने बताया कि उसके दोस्त विनोद मिश्रा ने कहा था कि खाते में जो भी रकम आएगी,उसका 50 प्रतिशत कमीशन मिलेगा। पुलिस ने 22 जून को विनोद मिश्रा को भी मुंबई से गिरफ्तार किया।

विनोद ने कहा कि उसे अनिल नाम के व्यक्ति ने किसी का फर्जी खाता नंबर देने को कहा था। अनिल के बारे में पता चला कि वह धोखाधड़ी के मामले में साबरमती जेल में बंद है। अनिल से पूछताछ में धौलपुर निवासी मातादीन सिकरवार और जमशेदपुर निवासी संजय प्रकाश उपाध्याय द्वारा वारदात को अंजाम देना बताया। इसमें संजय प्रकाश ने ही सीहोर से मुकेश कावरे के नाम का फर्जी आधार कार्ड प्रस्तुत कर सीहोर से सिम इश्यु कराई थी।

मातादीन और संजय प्रकाश भी धोखाधड़ी के एक अन्य मामले में केंद्रीय जेल अहमदाबाद में बंद मिले। टीआई भदौरिया के मुताबिक दोनों आरोपितों को प्रोडक्शन वारंट पर भोपाल लाकर पूछताछ की गई। भदौरिया के मुताबिक आरोपित मातादीन सिकरवार 8 वीं तक पढ़ा है और पेशे से ट्रक ड्रायवर है। संजय प्रकाश 10 वीं पास है,उसकी सीमेंट की बोरी बनाने की फैक्ट्री है।पूछताछ में पता चला कि गिरोह का सरगना कोलकाता निवासी विकास साहू है। वह नाइजीरियन लोगों के साथ मिलकर पूरे देश में इस तरह की वारदातों को अंजाम देता है। इस केस में सीहोर स्थित बीएसएनएल दफ्तर से सिम जारी करने के मामले में कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई। पुलिस उन्हें इस मामले में गिरफ्तार करेगी।

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