उत्तराखंड ।। पाकिस्तान एक बार फिर इंटरनेशनल समुदाय को गुमराह कर रहा है। इंटरनेशनल आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करने वाली संस्था फाइनेंशल एक्शन टास्क फोर्स के साथ हाल ही में हुई अहम बैठक के बाद एक खुलासे से पाक बेनाब हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान आतंकी संगठनों के विरूद्ध झूठे व कमजोर मामले दर्ज कर रहा है। ये सिर्फ दिखावा है।
पाकिस्तान के गुमराह करने के सबूत तब सामने आए जब एक जुलाई को गुजरांवाला पुलिस में प्रतिबंधित दावत-वल-इरशाद के सदस्यों के विरूद्ध एक मामला दर्ज कराया गया था। यह भूमि सौदे का मामला था। गौरतलब है कि दावत-वल-इरशाद, लश्कर-ए-तैयबा का ही एक सहायक संगठन है। इसका प्रमुख आतंकी सरगना हाफिज सईद है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कानून के अनुसार मामला सही तरह से दर्ज नहीं किया गया।
सूत्रों ने जानकारी दी है कि ये FIR मों. अली की जमीन को आतंकी संगठनों को दिए जाने से जुड़ा है। मों. अली पुत्र सलीम अख्तर जो मलिकवाल शहर के रहने वाले हैं। उन्होंने ये सब जानते हुए किया। लश्कर-ए-तैयबा और दावत-वल-इरशाद दोनों एक प्रतिबंधित संगठन है और उनकी जमीन का प्रयोग आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाएगा, इसके बावजूद ये जमीन उन्हें दी गई।
FIR में लिखा कि मों. अली पुत्र सलीम अख्तर ने अपना अपराध कबूल किया है कि उन्होंने अपनी संपत्ति प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और दावत-वल-इरशाद को सौंपी है। जिसमें अब्दुल गफ्फार, हाफिज मसूद, अमीर हमजा, हाफिज सईद, मलिक जफर इकबाल को आतंकी फंडिंग के लिए अपनी संपत्ति देने की बात कबूली है।