जगहों का नाम बदलने के पीछे योगी सरकार की ये है मजबूरी, सीएम योगी के फैसलों को लेकर बड़ा खुलासा, मचा हड़कंप

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उत्तर प्रदेश ।। यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मुगलसराय के बाद इलाहाबाद और फैजाबाद के नाम बदल दिये हैं। कई और शहरों के नाम बदले जाने की चर्चा जोरों पर है।

सपा-बसपा और कांग्रेस समेत विपक्षी दल शहरों के नाम बदले जाने को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं। लेकिन, सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि शहरों के नामों में बदलाव जनता की इच्छाओं को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की नाम बदलने वाली स्ट्रेटजी पार्टी के लिए कितनी फायदेमंद साबित होने वाली है?

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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कट्टरवादी हिंदू वोटर पहले भी बीजेपी के साथ था और शायद हमेशा रहेगा। लेकिन गैर-हिंदू सांस्कृतिक पहचान मिटाकर बीजेपी के लिए नये समर्थक जुटा पाना लगभग नामुमकिन होगा। हां, शहरों के नाम बदलने का फायदा बीजेपी को तब हो सकता था, जब सूबे में सरकार के फैसलों का भारी राजनीतिक विरोध हो रहा होता, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। यहां तक कि इलाहाबाद और फैजाबाद जैसे लोकप्रिय शहरों के नाम बदले जाने के बावजूद कोई बड़ा विरोध नहीं देखने को मिला।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी को यह कतई नहीं भूलना चाहिये नामकरण की रोज-रोज की नौटंकी से बीजेपी का वह परम्परागत वोटर छिटक सकता है, जो कांग्रेस से मुकाबले भाजपा ज्यादा विकास पसंद पार्टी मानता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जो भारी जीत मिली थी, उसका प्रमुख कारण नरेंद्र मोदी की विकास पुरुष वाली छवि ही थी।

विकास की बात कहकर ही बीजेपी ने यूपी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। लेकिन अब आये दिन शहरों का नाम बदले जाने पर जनता के बीच मैसेज जा रहा है कि भाजपा सरकार के पास दिखाने के लिए कोई काम नहीं है। ऐसे में सरकार विकास कार्यों को छिपाने के लिए शहरों के नाम बदलने की बात कर रही है।

बीते दिनों योगी आदित्यनाथ इंटरनेट पर सबसे ज्यादा सर्च किये जाने वाले मुख्यमंत्री बनकर उभरे थे, लेकिन इन नाम बदले जाने को लेकर सोशल साइट्स पर यूजर्स उन्हें टारगेट कर रहे हैं। फैसले को लेकर तरह-तरह के जोक्स शेयर कर रहे हैं।

फोटो- फाइल

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