
लखनऊ ।। केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। भारत सरकार की तरफ से कर्मचारियों के शेयरों और म्यूचुअल फंडों में निवेश के खुलासे की सीमा तो बढ़ा दी गई है। केंद्र सरकार ने ये लिमिट बढ़कर कर्मचारियों के 6 महीने के मूल वेतन के बराबर कर दी है।
आपको बता दें कि केंद्रीय कर्मचारियों को इसका 27 साल से इंतजार था। इसकी जानकारी कार्मिक मंत्रालय की तरफ से दी गई है। इस बारे में मोदी सरकार के सभी विभागों को मंत्रालय की ओर से आदेश जारी किया गया है। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद करीब 27 साल पहले की मौद्रिक सीमा नियम में बदलाव होगा।
पढ़िए- होली में घर वापसी वाले यात्रियों के लिए बुरी खबर, रेलवे उठाया ये कदम
गौरतलब है कि पहले ग्रुप ए और ग्रुप बी के अफसरों को शेयरों, प्रतिभूतियों, डिबेंचरों या म्यूचुअल फंड योजनाओं में कैलेंडर साल में 50 हजार रुपये से अधिक का लेन-देन करने पर उसका ब्यौरा देना पड़ता था। जबकि ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों के लिए यह लिमिट मात्र 25,000 रुपये थी।
लेकिन अब मोदी सरकार के नए नियम के तहत कर्मचारियों को अपने निवेश की सूचना तभी देनी होगी जब एक कैलेंडर साल में यह निवेश उनके छह माह के मूल वेतन से ज्यादा हो जाएगा।
दरअसल, 7वां वेतन लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन में इजाफा हुआ है। इस कारण लिमिट की सीमा बढ़ाने का फैसला किया गया है। प्रशासनिक अफसरों द्वारा ट्रांजेक्शन पर निगाह रखने के लिए सरकार ने कर्मचारियों को ब्यौरा साझा करने का प्रारूप जारी किया है।
फोटो- फाइल
--Advertisement--