उत्तराखंड ।। लग्ज़री विमान जैसी सुविधाओं वाली देश की सबसे तेज ट्रेन वंदे भारत अपनी पहली ‘उड़ान’ भर चुकी है। 180 की टॉप स्पीड वाली ट्रेन को पीएम मोदी ने शुक्रवार को हरी झंडी दिखाई। इसकी सबसे बड़ी खूबी है इसका ‘इंजनलेस’ होना।
खबर के अनुसार, रेलवे की यह अब-तक की पहली ऐसी ट्रेन है जो बिना इंजन के चलेगी। बिना इंजन के यह ट्रेन काम कैसे करेगी इसके तकनीकी पक्ष को आप आज यहां जानिए।
अगर आपने किसी भी मेट्रो में सफर किया है तो समझना आसान होगा। मेट्रो में अलग से कोई भारी भरकम लोकोमोटिव इंजन नहीं होता और ट्रेन के पहले कोच में ही पायलट मौजूद होता है। बिजली से चलनेवाली वंदे भारत ट्रेन का इंजनलेस होने का यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि इसमें ड्राइवर नहीं होगा।
ट्रेन को चलाने के लिए उसमें हमेशा 2 या उससे ज्यादा लोको पायलट मौजूद होंगे। ट्रेन को स्पीड देना, थ्रोटल (ब्रेक लगाना), गेट को खोलने-बंद करने का इंडिकेशन देना उन्हीं की कमांड या यूं कहें कि उन्हीं के इशारों पर होगा।
वंदे भारत को बिजली से पावर मिलती है। यह पावर ऊपर मौजूद तारों से होते हुए ट्रेन पर लगी डिवाइस ‘पेंटों’ से नीचे पहुंचती है। ऊपर मौजूद लाइन की पावर 25 हजार वॉट तक होती है, जिससे सीधे ट्रेन नहीं चलाई जा सकती। इसलिए ट्रेन के कोचों के नीचे ट्रांसफॉमर लगे हैं, इनका काम बिजली को कन्वर्ट कर जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करना है।
बिना लोकोमोटिव वाली इंजनलेस इलेक्ट्रिक ट्रेन को चलाने के लिए जो पूरा सिस्टम चाहिए वह वंदे भारत की बोगियों में ही फिट है। काम के हिसाब से ट्रेन में मौजूद 16 डिब्बों को अलग-अलग बांटा जा सकता है। ट्रेन को चलाने के लिए ट्रेन की बोगियां तकनीकी रूप से 4 तरह बंटी हैं।