हनीट्रैप : पाकिस्तान की एक कॉल ने किया फौजी का ब्रेन वॉश, शेयर की जरूरी जानकारी

img

Meerut. पाकिस्तान से आई एक कॉल ने मेरठ कैंट में तैनात करीब 26 साल के फौजी को आईएसआई नेटवर्क के चंगुल में फंसा दिया। मिली जानकारी के अनुसार जवान के पास पहले पाकिस्तान के एक नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने जवान को वाट्सएप पर ले लिया और मैसेज के दौर से शुरू हुए। बातचीत जासूसी तक जा पहुंची।

मेरठ कैंट में तैनात फौजी कंचन सिंह की उम्र करीब 26-27 साल है। दिखने में हैंडसम इस जवान की फेसबुक आईडी भी है। उसकी फ्रेंडलिस्ट में शामिल करीब हजार मित्रों में 50 से ज्यादा महिलाएं हैं।
फेसबुक पर वह अपडेट नहीं है और आखिरी बार उसने चार फरवरी 2017 को अपनी एक तस्वीर पोस्ट की।

जानकारों के अनुसार पाकिस्तानी खुफिया एजेंट फौज के जवानों और युवाओं को फोन कॉल के जरिए चंगुल में लेते हैं। आमतौर पर इसके लिए मधुर आवाज वाली खूबसूरत महिलाओं को इस्तेमाल किया जाता है। यह महिलाएं रेंडम कॉल करती हैं और फिर वाट्सएप पर एड कर चैट शुरू करती हैं। चैटिंग का यह सिलसिला ही ब्रेन वॉश तक ले जाता है। सूत्रों के अनुसार पहली बार सेना के इस जवान के पास भी पाकिस्तान से एक कॉल आई।

दूसरी तरफ आवाज महिला की ही थी। इसके बाद चैटिंग शुरू हुई और तस्वीरों का आदान-प्रदान भी। आईएसआई एजेंट ने जवान को इस कदर चंगुल में ले लिया कि वह दिल के आगे बेबस हो ब्रेन वॉश की स्थिति तक चला गया। दूसरी तरफ से आईएसआई एजेंट ने उसे जो कहा वह करता चला गया। कैंट क्षेत्र की तस्वीरों का आदान-प्रदान और सैन्य यूनिटों की मोबिलिटी से संबंधित सूचनाएं भी शेयर होने लगीं। जांच एजेंसी के पास यह भी इनपुट है कि इसमें पैसे का भी लेनदेन हुआ। संभवत: फौजी के कुछ खातों में ऑनलाइन पैसा भेजा गया। इसके लिए उसके बैंक खातों की भी जांच हो रही है।

यह भी देखा जा रहा है कि कंचन सिंह ने कहीं फर्जी नामों से फेसबुक आईडी तो नहीं बना रखी हैं जिनसे वह आईएसआई एजेंटों को सूचनाएं भेजता हो। मेरठ समेत वेस्ट यूपी में आईएसआई का बड़ा नेटवर्क है। यह भी माना जा रहा है कि उस तक पैसा कैश में भी पहुंचाया गया। इन सबसे संबंधित पुख्ता सबूत जुटाने के लिए ही जांच एजेंसी जुटी है। पुख्ता सबूतों के आधार पर ही यह मामला आगे कोर्ट मार्शल या सिविल पुलिस तक जाएगा।

कुंवारा है जासूसी के आरोप में घिरा फौजी

उत्तराखंड के बागेश्वर के बिलौनी गांव का रहने वाला यह फौजी कुंवारा है। बिलौनी एक ऐसा गांव है जो बागेश्वर से सटा है और यहां खेती-मजदूरी करने वाले गरीब लोग रहते हैं। कंचन सिंह भी आर्थिक तौर पर कमजोर परिवार से फौज में आया। माना जा रहा है कि उसकी इसी कमजोरी का आईएसआई एजेंटों ने फायदा उठाया और उसे अपने शिकंजे में ले लिया।

Related News