UPSIDC-MD रणवीर प्रसाद को रास आ रहे हैं भ्रष्टाचारी

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यूपी किरण ब्यूरो

लखनऊ।। यूपी में सबसे ज्यादा लाभ कमाने वाला निगम UPSIDC भ्रष्टाचार को लेकर अक्सर चर्चा में रहता है। इस बार यहाँ हाल ही में तैनात नए प्रबंध निदेशक रणवीर प्रसाद अपने कारनामे लेकर चर्चा में हैं।

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एमडी रणवीर प्रसाद लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। दागी अधिकारियों को अहम जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। मलाईदार पदों पर उनकी डिमांड के मुताबिक तैनाती दी जा रही है। चहेते अधिकारियों को एक से अधिक पदों का प्रभार दिया जा रहा है।

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सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि भ्रष्टाचार में आरोपी पाए गए किसी भी अधिकारी को जांच पूरी होने तक बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी न दी जाए। यही नहीं, टेक्निकल पदों पर बैठे कर्मचारियों को भी नॉन टेक्निकल पदों पर भेज दिया जाता है, जबकि निगम में टेक्निकल अधिकारियों की सबसे ज्यादा कमी है।

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कानपुर मुख्यालय में क्षेत्रीय प्रबंधक के पद पर रहते हुए मनमोहन को गिरफ्तार किया था। विजिलेंस की टीम ने आवंटी से साढ़े तीन लाख रुपए घूस लेते हुए वर्ष 2010 में मुख्यालय में दबोचा था। इसके बाद उन्हें कल्याणपुर थाने में रखा गया। इस मामले में मनमोहन को 60 दिनों तक कानपुर जेल में भी रहना पड़ा था।

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घूस लेने के मामले में जेल भेजे गए मनमोहन के इस मामले की जांच चल ही रही है, उधर यूपीएसआईडीसी के एमडी रणवीर प्रसाद ने मनमोहन को अहम जिम्मेदारियां देते हुए उप महाप्रबंधक (पीएम) बना दिया। मनमोहन को एमडी ने कन्नौज में इत्र के प्रोजेक्ट समेत कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट दे दिए हैं, जबकि उनके खिलाफ विजिलेंस की जांच चल रही है। यह मुकदमा अभी भी लंबित है। यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है।

ऐसा नहीं है कि यूपीएसआईडीसी में एक मनमोहन हैं। सूत्रों की माने, तो एमडी रणवीर प्रसाद ने मनमोहन सरीखे कई अधिकारियों को संरक्षण दिया है। ये अधिकारी अब गुट बनाकर काम कर रहे हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो एमडी रणवीर प्रसाद इसी गुट के इशारे पर हर काम करते हैं।

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ट्रांस्फर पॉलिसी की माने, तो ऐसे किसी भी दागी अधिकारी को जब तक जांच पूरी न हो जाए अहम तैनाती नहीं दी जा सकती। ऐसे अफसरों को संदिग्ध की श्रेणी में रखा जाता है। फिर भी एमडी रणवीर प्रसाद ने मनमोहन को उप महाप्रबंधक बनाकर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का मजाक उड़ाया है।

जो सुप्रीम कोर्ट ने केसी सरीन वर्सेज सीबीआई चंडीगढ़ के मामले में दिया है। इसके मुताबिक, अधिकारियों के गलत तबादले और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए किसी भी ऐसे किसी भी अधिकारी को अहम तैनाती तब तक नहीं दी जा सकती, जबतक केस का फैसला न आ जाए।

फोटोः फाइल

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