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लखनऊ।। सूचना के अधिकार के जरिए मिली सूचना ने अखिलेश सरकार के कार्यकाल में बांटे गए यश भारती पुरस्कार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, अखिलेश यादव ने 200 लोगों को यशभारती अवॉर्ड दिया था।
बताया जाता है कि इसमें कम से कम 21 ऐसे लोग हैंजिन्हें सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय में आवेदन भेजने के बाद यशभारती मिला। एक बड़े अंग्रेजी अख़बार को मिली डिटेल जानकारी को देखकर तो ऐसा लगता है कि यशभारती बांटने में जमकर भाई-भतीजावाद हुआ है।
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इस खुलासे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल ही अपनी आजमगढ़ की रैली में दिए भाषण में अपने फैसले को जायज ठहराया और कहा, ”अब केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकारें हैं। आप भी अपने लोगों को अवॉर्ड दे सकते हैं।” अखिलेश यादव ने पेंशन की धनराशि 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपए करने की भी मांग कर डाली।
इस पर कड़ा विरोध जताते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कटाक्ष किया और कहा कि अखिलेश यादव को शेख-चिल्ली के जैसी भूमिका से बाहर निकलना चाहिए। उनकी सरकार के द्वारा लिए गए गलत निर्णयों की खातिर आज उत्तर प्रदेश गंभीररूप से आर्थिक कर्जदार है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यदि अखिलेश यादव को थोड़ी-सी भी समझ होती तो उन्हें परिवार और पार्टी के लूट का बाजार बनाने से रोकते। लेकिन वो खुद ही इसमें शामिल हो गए। यही कारण है कि प्रदेश जनता ने इन्हें सिरे से ख़ारिज कर दिया। अब वो खिसियाई-बिल्ली खम्बा नोचे वाली स्थिति में हैं और अपने बिना तर्क वाले बयानों से शेख-चिल्ली बनें हुए हैं।
नीचे दिए गए बायोडेटा को देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि किस तरह यश-भारती देने में धांधली की गयी।
1)- लखनऊ के कमिश्नर रहे महेश कुमार गुप्ता ने 28 सितंबर 2015 को यूपी के तत्कालीन मुख्य-सचिव आलोक रंजन की पत्नी सुरभि रंजन के नाम की सिफारिश की थी। सुरभि ने अपने बायोडेटा में बताया था “सुरभि रंजन जानी-मानी गायिका हैं, साथ ही राष्ट्रपति-भवन, दिल्ली के उपराज्यपाल निवास और लखनऊ के राजभवन में 30 सालों में कई कार्यक्रम किए हैं।”
2)- लखनऊ के ADM रहे जय शंकर दूबे ने शिखा पांडे के नाम की सिफारिश 9 सितंबर 2016 में की थी। शिखा दूरदर्शन में कॉर्डिनेटर का काम करती थीं। शिखा के द्वारा दिए गए बायोडेटा में लिखा है “पिछले 4 सालों से मैंने 5-कालीदास मार्ग पर सीएम के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए, जिसकी खुद सीएम ने सराहना की।”
3)-2013 में अवॉर्ड जीतने वाले अशोक निगम के बायोडेटा में है कि वो वर्तमान में समाजवादी पार्टी की मैगजीन “समाजवादी बुलेटिन” के एग्जीक्यूटिव एडिटर हैं।
4)- अखिलेश यादव पर लिखी गयी पुस्तक “समाजवादी मॉडल के युवा ध्वजावाहक” के लेखक और सपा के नेता मुरलीधर मिश्रा के बेटे मणेंद्र कुमार मिश्रा उर्फ़ “मशाल” ने अपने बायोडेटा में बताया है कि उन्होंने आईआईएमसी से पीजी डिप्लोमा किया है और 2010 में मेघालय के खासी-जनजाति पर दो महीने तक फील्ड-वर्क किया।
5)- मुख्यमंत्री के OSD रहे रतीश चंद्र अग्रवाल ने अपने नाम की सिफारिश खुद 3 सितंबर 2016 को कल्चर डिपार्टमेंट से की थी।
6)-.खेल-कोटे से यश-भारती हासिल करने वाले नवाब ज़फ़र मीर अब्दुल्लाह अपने बायोडेटा में बताया कि वो एक व्यवसायी हैं और प्राचीन-भारत में अवध-प्रांत के प्रधानमंत्री नवाब अहमद अली खान के वशंज हैं।
7)- समाजवादी पार्टी के कल्चरल-सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष काशीनाथ यादव ने पार्टी के लेटर-हेड से अपना बायो-डेटा 27 अप्रेल 2016 को भेजा था, जिसमें उनके द्वारा बताया गया कि उन्होंने कल्चरल-सेल के प्रमुख के तौर पर समाजवादी पार्टी के लिए कार्यक्रम आयोजित किए और प्रचार प्रसार भी किया, साथ-साथ 1997 के सैफई महोत्सव के दौरान भोजपुरी संगीत भी प्रस्तुत किए थे।
8)- हरीप्रसाद मिश्रा ने अपना बायो-डेटा 31 मई 2016 को सीएम को भेजते हुए अपने नाम की सिफारिश करते हुए बताया कि वो ज्योतिष और वास्तु-एक्सपर्ट हैं और पिछले 40 वर्षों से समाज-सेवा कर रहे हैं।
9)- 2016 में यशभारती पाने वाली ओमा उपाध्याय ने अपने बायो-डेटा में बताया कि उन्होंने ज्योतिष और मनोविज्ञान पर आधारित हैंड-मेड कपड़ों को बनाने के लिए क्रांतिकारी विचारधारा स्थापित किया।
10)- एंकर अर्चना सतीश के नाम का प्रपोजल तो उस समय तैयार किया गया था जब वो लखनऊ में 27 अक्टूबर 2016 को यशभारती अवॉर्ड के प्रोग्राम की तैयारी कर रही थीं और उनकी सिफारिश को खुद अखिलेश यादव ने ही प्रोग्राम के दौरान मंजूर कर लिया था। अर्चना के बायो-डेटा में दर्ज है कि उन्होंने लगातार तीन सालों तक सैफई-महोत्सव में एंकरिंग की।
11)-2016 में यशभारती हासिल करने वाली दिवंगत-कांग्रेसी नेता जगदीश मातनहेलिया की पुत्री शिवानी मातनहेलिया ने अपने बायो-डेटा में लिखा था कि वो प्रतापगढ़ के एमडीपीजी कॉलेज में म्यूजिक की टीचर हैं और अबतक 8 अवॉर्ड हासिल कर चुकी हैं, जिनमें से 7 अवार्ड उन्हें प्रतापगढ़ में स्थानीय संस्थानों के द्वारा मिले थे।
12-वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा को यशभारती अवॉर्ड 2016 मिला था , उन्होंने अपने बायो-डेटा में बताया था कि वो ऐसे इकलौते पत्रकार हैं, जिसने 1989, 2001 और 2013 में महाकुंभ की कवरेज की थी।
आपको बता दें कि अखिलेश यादव सरकार ने वर्ष 2012 से 2017 के बीच यशभारती पुरस्कार बांटे थे। यशभारती अवार्ड पाने वाले को 11 लाख रुपए की पुरस्कार राशि और 50 हजार रुपए की मासिक पेंशन का प्राविधान था।
यशभारती अवॉर्ड की स्थापना यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सन 1994 में सीएम रहते हुए की थी, हालाँकि बाद में आई सरकारों ने इस अवॉर्ड बंद कर दिया। इसके बाद दोबारा अखिलेश यादव सरकार ने यशभारती अवॉर्ड्स को शुरू किया था।
फोटोः फाइल
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