नई दिल्ली ।। चंद्रयान मिशन के लैंडर विक्रम से इसरो का संपर्क चंद्र सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर नहीं बल्कि 335 मीटर पर टूटा था। यह खुलासा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने किया है।

इसरो के मिशन ऑप्रेशन कॉम्पलैक्स से जारी तस्वीर से इस बात का खुलासा हुआ है। चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम इसरो के एक ग्राफ में दिखाई दे रही तीन रेखाओं के बीच में स्थित लाल रेखा पर चल रहा था। लाल रेखा इसरो द्वारा निर्धारित विक्रम का पूर्व निर्धारित पथ था। विक्रम लैंडर के आगे बढऩे के साथ ही लाल रंग की रेखा के ऊपर हरे रंग की रेखा स्पष्ट दिखाई दे रही थी।
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चंद्रमा की सतह से 4.2 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी विक्रम लैंडर अपने पूर्व निर्धारित पथ से थोड़ा भटका लेकिन जल्द ही उसे सही कर दिया गया। इसके बाद जब विक्रम चंद्र सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचा तो वह अपने पथ से भटक कर दूसरे रास्ते पर चलने लगा।
जिस समय विक्रम ने अपना निर्धारित पथ छोड़ा उस समय उसकी गति 59 मीटर प्रति सैकेंड थी। पथ भटकने के बावजूद सतह से 400 मीटर की ऊंचाई पर विक्रम लैंडर की गति लगभग उस स्तर पर पहुंच चुकी थी जिस पर उसे सॉफ्ट लैडिंग करनी थी। मिशन ऑप्रेशन कॉम्पलैक्स की स्क्रीन पर दिखाई दे रहे ग्राफ में लैडिंग के लिए पूर्व निर्धारित 15 मिनट के 13वें मिनट में स्क्रीन पर एक हरे धब्बे के साथ सब कुछ रुक गया।
उस समय विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 335 मीटर की ऊंचाई पर था। इसरो अक्तूबर के अंत तक देश के सबसे ताकतवर निगरानी सैटेलाइट कार्टोसैट-3 की लॉचिंग करने वाला था, लेकिन अब ऐसी चर्चा है कि इसकी लॉचिंग एक महीने तक टल सकती है। इसरो के सूत्रों ने बताया कि इसके टलने की वजह चंद्रयान-2 मिशन में आई गड़बड़ी है। कहा जा रहा है कि अभी इसरो की एक बड़ी और महत्वपूर्ण टीम विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में लगी है।
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