
नई दिल्ली ।। भारत के पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग जबतक क्रीज पर होते तो गेंदबाजों की हालत खराब रहती थी। इस क्रिकेटर ने अपने वनडे करियर में 136 छक्के लगाए हैं। इस दौरान उन्होंने 15 शतक जड़े।
लेकिन क्या आपको मालूम है कि एक ऐसा भी मैच था, जिसमें सहवाग ने 99 के स्कोर पर छक्का लगाया मगर वो शतक नहीं बना सके। जी हां, आज हम आपको ऐसे ही मैच की याद ताजा करवाने जा रहे हैं।
16 अगस्त 2010 में श्रीलंका के खिलाफ त्रिकोणीय सीरीज के अंतर्गत भारत दांबुला में वनडे मैच खेल रहा था। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए महज 170 रन बनाए। इसके बाद बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत भी अच्छी नहीं रही और उसके तीन विकेट सिर्फ 32 रनों पर गिर गए।
लेकिन दबाव के बावजूद सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग ने अपना नैसर्गिक खेल जारी रखा। उन्होंने श्रीलंकाई गेंदबाजों की खूब धुनाई करते हुए उन्हें मैदान के चारों ओर शॉट्स लगाए। जिसका नतीजा यह रहा की वीरेंद्र सहवाग ने तूफानी पारी खेलते हुए भारत को लक्ष्य के काफी करीब पहुंचा दिया था। मैच के 34वें ओवर में ही भारतीय टीम ने 170 रन बनाकर श्रीलंका द्वारा बनाए गए स्कोर की बराबरी कर ली थी।
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जिसके बाद भारतीय टीम को अब जीत के लिए 16 ओवरों में सिर्फ 1 रन की ज़रूरत थी और वीरेंद्र सहवाग उस समय 99 रन बनाकर क्रीज़ पर मौजूद थे। संयोग से सहवाग उस समय स्ट्राइक पर ही थे और उनके पास 1 रन बनाकर भारत को जीत दिलाने और अपना शतक पूरा करने का मौका था।
लेकिन श्रीलंकाई गेंदबाज़ सूरज रणदीप ने जानबूझ कर अगली गेंद नो-बॉल फेंकी। जिस पर सहवाग ने छक्का तो जड़ दिया परन्तु नो बॉल होने के कारण भारत को 1 रन मिला। इस तरह से सहवाग शतक बनाने से महरूम रह गए।
बता दे कि सहवाग को उनकी 99 रन की नाबाद पारी के लिये ‘मैन आफ द मैच’ चुना गया था और वे शतक के भी हकदार थे। सूरज रणदीव की शर्मनाक हरकत के बाद उन्हें एक मैच के लिए बैन कर दिया गया था लेकिन इस घटना के बाद श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड ने उनसे भारी नाराजगी दिखाई और उन्हें दुबारा कभी श्रीलंकाई टीम में खेलने का मौका नहीं दिया।