
उत्तर प्रदेश ।। महान क्रांतिकारी भगत सिंह का नाम भले जनमानस शहीद-ए-आजम ही चर्चित हो लेकिन सरकार उन्हें शहीद नहीं मानती है। इसे लेकर कई बार बार सवाल उठे हैं और भगत सिंह को शहीद का दर्जा देने की भी मांग उठी है।
अब केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने केंद्र सरकार से कहा है कि भगत सिंह समेत अन्य क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा देने पर स्थिति स्पष्ट की जाए। अगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती है तो उसका स्पष्ट कारण बताए। गौरतलब है कि अंग्रेस सरकार ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च 1931 को लाहौर षडयंत्र मामले में फांसी की सजा दी थी।
सूचना के अधिकार (RTI) के तहत आए गए आवेदन में भगत सिंह को शहीद का दर्जा देने की जानकारी मांगी गई थी। RTI लगाने वाले ने पूछा था कि क्या भगत सिंह को क्रांतिकारी और शहीद का दर्जा नहीं दिया जा सकता है। अगर नहीं दिया जा सकता तो केंद्र सरकार इस संबंध में विस्तृत जानकारी दे।
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सरकार बताए क्या कानूनी दिक्कतें हैं। आवेदन पर सुनवाई के बाद सीआईसी ने गृह मंत्रालय से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने RTI के आधर पर कहा, स्वतंत्रता सेनानियों को सरकार कई तरह की सुविधाएं और पेंशन देती है, लेकिन भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा ही नहीं दिया गया है।
RTI के तहत यह आवेदन पहले राष्ट्रपति भवन को भेजा गया था। राष्ट्रपति भवन ने इस पर गृह मंत्रालय से जवाब मांगा लेकिन संतोषजनक जानकारी नहीं दी गई। इस पर आवेदक ने केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। आचार्युलु के मुताबिक, राजनेताओं को आमतौर पर भारत रत्न दिया जाता है। जंग और शांतिकाल में वीरता के लिए शहीदों और सेना के बहादुर जवानों को वीरता सम्मान दिए जाते हैं। इसके बावजूद भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस समेत अन्य क्रांतिकारियों को नजरअंदाज किया गया।
आचार्युलु ने कहा, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद घोषित करने की मांग हर साल उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर उठती है। आवेदन के मुताबिक कोट लखपत जेल में मौत के बाद पंजाब सरकार ने सरबजीत सिंह को राष्ट्रीय शहीद घोषित किया है, लेकिन भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों को आज तक यह दर्जा नहीं दिया गया।
फोटो- फाइल
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