यूपी किरण ऑनलाइन, खबरों की Update पाने के लिए Facebook पेज @upkiran.news लाइक करें!
लखनऊ।। अमूमन मैं Facebook पर लंबी बात नहीं लिखता लेकिन कई बार कुछ वाकये ऐसे होते हैं जिन को लिखना सच को समझने समझाने के लिए जरूरी होता है।
www.upkiran.org
कानून की नजर भले ही अमीर और गरीब, रसूखदार और आम आदमी को बराबर समझती हो लेकिन पुलिस की नजर अमीर और गरीब,रसूखदार और आम आदमी में बड़ा भेद करती है। सोमवार को शहर के बड़े व्यापारी के बेटे का स्कूल जाते वक्त रास्ते से अपहरण हो गया। मामला बड़ा था,बच्चे की ज़िंदगी के साथ साथ बड़ो की कुर्सी हिलने का खतरा भी था तो ना सिर्फ लखनऊ पुलिस बल्कि आसपास के जिलों की पुलिस तक अलर्ट हो गई,4 घंटे में बच्चा भी मिल गया और किडनैप करने वाला भी। वाह बधाई। वास्तव में बधाई और शाबाशी वाला काम हुआ।
दहेज़ में बाइक और सोने की चेन न मिलने पर पत्नी को पहले मारा फिर प्राइवेट पार्ट…
लेकिन ऐसी ही एक घटना 4 दिन पहले हुई थी। 15 मार्च को मड़ियांव इलाके से 6 साल की एक बिटिया गायब हो गई। राजगीर मिस्त्री की ये बिटिया भी उस दिन स्कूल एग्जाम देने गई थी। लेकिन फिर वो लौट कर नही आई। स्कूल ड्रेस में गई बेटी लौटी तो फिर लाश बनकर। उस बच्ची के लाश 4 दिन बाद जंगल मे पेड़ से लटकी मिली। स्कूल ड्रेस में ही उस मासूम को बेल्ट से लटका दिया गया था। इस घटना में पुलिस ने यही तेजी क्यों नही दिखाई? इस लड़की के लापता होने के 4 दिन तक किसी अफसर को फुरसत नही मिली कि अखबार में पढ़कर ही सही एक बार नीचे वालो से पूछ लें,ये क्या हुआ,क्या कर रहे हो।
अब सीधा सवाल उन जिम्मेदारों से।
साहब गरीब की बेटी लापता हुई तो आपको भनक ही नही लगी,वाह। वैसे तो सुनते है कि थाने में परिंदा भी पर मारता है तो साहब को खबर हो जाती फिर ये खबर थाने से निकलकर साहबो तक क्यों नही पहुंची। थाने में आपके अय्यार क्या कर रहे थे।
साहब। सच तो ये है कि आपने उस राजगीर मिस्त्री की बेटी के लापता होने की खबर अखबारों में देख कर अनदेखा कर दिया। आप स्वीकार भले न करे लेकिन ये पाप आप से अनजाने में ही सही, हुआ जरूर है।
EXCLUSIVE: अखिलेश यादव के करीबी IAS को सचिव बनाने के लिए जन्मतिथि में हेरा-फेरी
जैसे साहब लोग अर्नव की किडनैपिंग पर भागे रहे थे वैसे उस गरीब की बेटी की किडनैपिंग पर भागने और भगाने लगते तो आज उस गरीब की बेटी भी अपने पापा के टूटे घर मे खेल रही होती।
यूपी किरण ऑनलाइन, खबरों की Update पाने के लिए Facebook पेज @upkiran.news लाइक करें!
आखिर ऐसा भेद क्यों? क्यों अफसर 4 दिन तक उस बच्ची की सुध नही ले पाए। सूचना नही मिली तो साहब अखबार tv नही देखते पढ़ते क्या? या सच ये है उस गरीब की बेटी का लापता होना आपको piti issue महसूस हुआ। और नतीजा। वो बच्ची लाश हो गई।
अरनव बेटा ईश्वर तुमको लंबी आयु दे,तुमको मेरी भी उम्र लग जाए।
लेकिन सच तो ये है कि बेटा अगर तुम किसी नामचीन स्कूल के स्टूडेंट और अपने रसूखदार पिता के बेटे ना होते तो ये पुलिस वही करती जो उस मजदूर के साथ किया।
सच ये है साहब! जिस वक्त आपको अर्नव के किडनैप होने की सूचना मिली होगी तो आपको सबसे पहले अर्नव से ज्यादा अपनी कुर्सी की चिंता सताई होगी। की बेटा आज तो गए,बच्चे को कुछ हुआ तो कल सब सस्पेंड। यही दिमाग का कौंधा आपको तूफ़ान बना गया और आप सब 4 घंटे के रिकॉर्ड वक्त में बच्चे को बचा लाए।
Exclusive: नौकरी बढ़वाने के लिए वन निगम के इस बड़े अधिकारी ने मरे भाई को कर दिया जिन्दा!
साहब ये जो कुर्सी जाने का खौफ था ना वो खौफ डर आपको उस मजदूर की बेटी के लापता होने में नही था। ये कुर्सी न जाने का भय का ना होना ही था कि आपने उस मजदूर की बेटी को पता लगाने की जरूरत नही समझी। वरना जान तो उसकी भी थी,उसके मा बाप ने भी आपको बेटी लापता होने की सूचना दी थी। उसके घरवालों ने तो ये भी बताया कि कौन ले जा सकता है उनकी मुन्नी को। लेकिन वही कुर्सी जाने का डर ना तो नीचे वालो को था और ना आपको। इसलिए नीचे वाले ने जानकर भी कुछ नही किया और आप को फर्क ही क्या पड़ना था।
UP: ‘मुख्यमंत्री जी के यहाँ बैठा हूँ’ कहकर कृषि निदेशक ने प्रिंसिपल को हड़काया और करवा दी बात, ऑडियो वायरल
खैर बात यहाँ पुलिस के रवैये की थी। एक जैसी घटना में कैसे पुलिस अलग अलग तरह का काम करती है। जिससे कुर्सी का खतरा था उसमें लग गए और जो कुछ नही उखाड़ सकता उसको आपने अब ज़िन्दगी भर की खुशियों से उखाड़ दिया।
यूपीएसआईडीसी में बिचौलियों को फायदा पहुंचाने के लिये MD रणवीर प्रसाद ने बदल दिये ये नियम
यूपी में भक्तों की सरकार आई, महात्मा कुर्सी पर बैठा तो आम आदमी में न्याय का भरोसा जगा। सरकार भले गरीब और अमीर में भेद न करती हो लेकिन खाकी तो करती है। पीड़ित अगर रसूखदार हुआ, धन्नासेठ हुआ तो खाकी… सदैव आपकी सेवा में तत्पर… की मुद्रा में आ जाती है। अगर पीड़ित, आम आदमी हुआ तो मामला उलट जाता है कि पीड़ित से ही यूपी पुलिस सेवा लेने की तत्परता में भी लग जाती है।
क्राइम रिपोर्टर संतोष कुमार की फेसबुक से: साभार
--Advertisement--