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यूपी किरण ब्यूरो

नई दिल्ली ।। सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 75 हजार शिक्षा मित्रों को झटका दे दिया है। जस्टिक एके गोयल और ललित की बेंच ने मंगलवार को टिप्पड़ी की कि यूपी सरकार 6 महीने में नई भर्ती करे। कोर्ट ने दिसम्बर तक भर्ती पूरी करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रो को मार्च 2018 तक अध्यापन करने देने को कहा है। कोर्ट ने शिक्षा मित्रो को भर्ती में बैठने के लिए उम्र सीमा में छुट दे दी है, लेकिन कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्रों की नियुक्तियां संविधान के खिलाफ हैं, क्योंकि आपने बाजार में मौजूद प्रतिभा को मौका नहीं दिया और उन्हें अनुबंध पर भर्ती करने के बाद उनसे कहा कि आप अनिवार्य शिक्षा हासिल कर लो।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रदेश के 1.75 लाख शिक्षामित्रों की नौकरियां खतरे में पड़ गई हैं। यूपी सरकार की लचर पैरवी के बाद सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों के खिलाफ फैसला आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है इन शिक्षामित्रों को हटाकर नए सिरे से भर्ती की जाये।

पीठ ने कहा कि यह बैकडोर एंट्री है, जिसे उमादेवी केस (2006) में संविधान पीठ अवैध ठहरा चुकी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2015 शिक्षामित्रों की नियुक्तियों को अवैध ठहरा दिया था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में इस आदेश को स्टे कर दिया था।
हाईकोर्ट के निर्णय के बाद सभी पार्टियों ने शिक्षा मित्रो के पक्ष में बोला था।

इलाहबाद हाईकोर्ट ने सितम्बर 2015 को शिक्षामित्रों की नौकरियां अवैध करार दिया था, जिसके बाद शिक्षामित्रों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था सपा, बसपा और भाजपा सबने एक स्वर में शिक्षामित्रों के पक्ष में बोला था, लेकिन यूपी में सरकार बदलते ही शिक्षामित्रों के लिए महत्वपूर्ण केस में यूपी सरकार की पैरवी बेहद ढीली रही।

फोटोः प्रतीकात्मक

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