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यूपी किरण ब्यूरो

लखनऊ।। नगर निगम के लेखा विभाग का गुणा, भाग, और जोड़-घटाना सब गड़बड़ चल रहा है। पिछले कई सालों से एक ही अफसरों के हवाले यह विभाग अंधरगर्दी की भेंट चढ़ रहा है। अनियोजित खर्चों के चलते विकास कार्य की रफ्तार भी कुंद गई है। इसके लिए देहरी लेखा प्रणाली का समय से न लागू होना प्रमुख कारण है।

अपर नगर आयुक्त पीके श्रीवास्तव व वित्त अधिकारी रचना रस्तोगी के हस्ताक्षर दोनों बैलेंस शीट पर अलग-अलग ढंग से किए गए है। सूत्रों की मिली जानकारी में सीए रचना रस्तोगी पर अपर नगर आयुक्त पीके श्रीवास्तव का वरदहस्त हासिल है। इस संबंध में नगर आयुक्त उदयराज सिंह का कहना है कि इस संबंध में पीके श्रीवास्तव ही अच्छा बता सकते है।

वहीं आनन फानन में तैयारी की जा रही बैंलेस शीट में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया। आय व्यय में हेरा-फेरी के साथ ही तीन वर्षों की बैलेंस शीट में जारी करने वाले अफसर की ओर से भी गोलमाल किया गया है। इस फर्जीवाड़े की जांच से बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा होगा। साथ ही अफसरों ने तीन वर्षों की बैलेंस शीट पर अलग-अलग हस्ताक्षर किये है।

नगर निगम नियक्ति बनाए रखने के लिए इसे लटकाने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे कि लंबे समय यही इनकी तैनाती बनीं रहे। साथ ही कर्मचारियों के वेतन पर हर महीनें लाखों रूपये खर्च किये जा रहे हैं। एक कर्मचारी को नगर निगम दोहरा लाभ प्रदान कर रहा है। जबकि रचना रस्तोगी के रहते दोहरी लेखा प्रणाली लागू होने में नगर निगम फिसड्डी रहा है।

फोटोः फाइल

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