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लखनऊ ।। इन दिनों कश्मीर घाटी में बर्फबारी और बाढ़ का जर्बदस्त प्रकोप है। कश्मीरियों को बर्फबारी और बाढ़ की मुसीबतों से बचने के लिए सुरक्षा बलों ने मोर्चा संभाल लिया है। सेना के जवान कश्मीरी लोगों को अपने कंधों पर बैठाकर सुरक्षित स्थलों पर पहुंचा रहे हैं।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती को भरोसा दिलाया है कि इस मुसीबत की घड़ी में केंद्र सरकार पूरी मदद करेगी। अब सवाल उठता है कि जो सैनिक बर्फबारी और बाढ़ की मुसीबतों से कश्मीरियों को बचा रहे हैं, तब कश्मीरी युवक पत्थर क्यों नहीं फेंक रहे? सुरक्षा बल जब आतंकवादियों का मुकाबला करते हैं, तब कश्मीरी युवक सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकते हैं। जबकि दोनों ही परिस्थितियों में सुरक्षा बल कश्मीर के लोगों को बचाने का ही काम करते हैं।

अलगाववादियों के कहने पर जो युवक पत्थर फेंकते हैं, उन्हें बर्फबारी और बाढ़ की मुसीबतों में सुरक्षा बलों की भूमिका को समझना चाहिए। यह हमारे ही सुरक्षा बलों की हिम्मत और सहनशक्ति है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर उन्हीं कश्मीरियों को बाढ़ के पानी से बचाते है, जो उन पर पत्थर फेंकते हैं।

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