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लखनऊ।। यूपी विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण का प्रचार थम चुका है और बुधवार को अंतिम चरण के मतदान के साथ ही सबकुछ शांत हो जाएगा। अब सभी को 11 मार्च का इंतजार है, जब परिणाम आएंगे।

बहरहाल, इस चुनाव के सात चरणों के प्रचार में पसीना बहाने में किसी दल ने कसर नहीं छोड़ी लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में यूपी में इतने ज्यादा चुनावी दौरे करने का रिकॉर्ड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनाया।

यूपी चुनाव में प्रचार के लिए मोदी ने विभिन्न स्थानों पर कुल 21 रैलियां और रोड शो किए। वहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 200 से ज्यादा सभाओं को संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतिम चरण में संसदीय क्षेत्र वाराणसी में डटे रहकर रिकॉर्ड बनाया।

मोदी की रैलियों का धमाल

प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों की हर तरफ धूम रही। भाजपा उम्मीदवारों की ओर से प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों की मांग निंरतर बढ़ती गई। चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद मोदी ने चार जनवरी को मेरठ से रैली की शुरुआत की थी। फिर अलीगढ़, गाजियाबाद, बिजनौर, बदायूं, लखीमपुर खीरी, कन्नौज, हरदोई, बाराबंकी, फतेहपुर, उरई, इलाहाबाद, गोंडा, बहराइच, बस्ती और मऊ की रैलियों को संबोधित किये।

प्रधानमंत्री ने सर्वाधिक पांच रैलियां अवध क्षेत्र में खीरी, हरदोई, बाराबंकी, गोंडा और बहराइच में की हैं। अमूमन भाजपा के एक सांगठनिक क्षेत्र में प्रधानमंत्री की दो-दो रैलियां प्रस्तावित थीं लेकिन बाद में इनकी संख्या बढ़ा दी गईं।

तीन मार्च को मोदी की मीरजापुर, चार मार्च को जौनपुर में रैली और वाराणसी में रोड शो और जनसभा हुई। पांच मार्च को वाराणसी में रोड शो, सभा तथा छह मार्च को भी कई कार्यक्रम व रोहनिया में उनकी रैली हुई। सातवें चरण में मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र में तीन दिन से ज्यादा डटे रहकर बतौर प्रधानमंत्री चुनावी दौर में सर्वाधिक समय देने का रिकार्ड बनाया।

अखिलेश सपा के सुपर स्टार प्रचारक

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी में इकलौते सुपर स्टार प्रचारक के तौर पर बने रहे। उन्होंने एक दिन में तीन से लेकर सात सभाओं को संबोधित किया और रोड शो में भी शामिल हुए।

पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि जनसभाओं में उमड़ी भीड़ अखिलेश की लोकप्रियता साबित करती है। अखिलेश के साथ उनकी पत्नी सांसद डिम्पल यादव भी दूसरी बड़ी प्रचारक नजर आईं।

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में दर्जनों सभाएं करने वाले मुलायम सिंह यादव ने केवल चार सभाओं को ही संबोधित किया। इसी तरह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मंत्री शिवपाल यादव भी अपने क्षेत्र तक ही सीमित रहे।

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