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लखनऊ ।। राजधानी लखनऊ से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति जिला रायबरेली चर्चा में है। इस जिले का एक गांव है पुरे पांडे। यहां के लोगों की सबसे बड़ी समस्या है, बिजली का ना होना। यहां के लोगों को मोबाइल चार्च करने के भी दुकानदारों को पैसा देना पड़ता है, क्योंकि इन दुकानदारों ने अपने दुकानों में सौर ऊर्जा से चलने वाले पैनल लगाए हैं। लेकिन अब शायद इस गांव के लोगों को जल्द ही इस समस्या से निजात मिल जाएगी।

लखनऊ की बिटिया मृणालिनी ने एक ऐसा प्रोजेक्ट बनाया है, जिसके इस्तेमाल से इस गांव के रहने वाले लोगों को एक पंखा या फिर एलईडी और मोबाइल चार्ज करने में मदद मिलेगी। असल में देश में मृणालिनी एकमात्र ऐसी शख्स हैं। जिसे डेविस प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। प्रोजेक्ट फॉर पीस में पूरे विश्व से कुल 120 बच्चों को चुना गया है, जिसमें से वह पहली भारतीय छात्रा हैं।

डेविस प्रोजेक्ट फॉर पीस अंडर ग्रेजुएट के विद्यार्थियों के लिए चलाया जाता है। ताकि स्थानीय स्तर पर होने वाले विवादों को आसानी से दूर किया जा सके। इसके लिए मृणालिनी को डेनिसन यूनिवर्सिटी के जरिए सवेरा प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। लखनऊ सीएमएस से हाईस्कूल और जीडी गोयनका स्कूल से इंटरमीडिएट करने वाली मिरनालिनी ने पुरे पांडे के लिए जो प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसके तहत यहां के रहने वाले लोगों को एक सौलर पैनल दिया जाएगा। जिसके तहत उसे 7 वाट की बिजली 12 घंटे तक मिलेगी। इससे वह एक पंखा या फिर एक एलईडी बल्ब आसानी से चला सकेंगे।

इस गांव में बिजली न आने के लिए कारण लोगों को मोबाइल चार्च कराने के लिए दुकानों में जाना पड़ता है। इसके लिए इन लोगों को दुकानदार को पैसा देना पड़ता है। असल में पहले भी इस गांव में सौलर पैनल के जरिए बिजली देने की कोशिश की गयी थी, लेकिन यह प्रोजेक्ट इतना सफल नहीं रहा। क्योंकि एक तो बैटरी के मैनटनेंस का खर्चा लोगों को देना पड़ता था। जो काफी खर्चीला था और दूसरा स्थानीय स्तर पर एक दूसरे से विवाद के चलते अकसर लोग एक दूसरे की तार को काट दिया करते थे।

लिहाजा उन्होंने इसकी एक तरकीब निकाली जिसके तहत लोगों से एक घर से रोजाना पांच रूपया लिया जाएगा और इस पैसे को का एक कोष बनाया जाएगा। जिसे एक साल के बाद बैटरी के मैनटेंनेश के लिए खर्च किया जाएगा। यानी एक साल के बाद किसी को बैटरी के खर्च के लिए पैसा नहीं दिया जाएगा। उनके पिता एके मित्रा बताते हैं कि फिलहाल मिरनालिनी यूनिवर्ससिटी में पढ़ाई कर रही हैं और जून से इस प्रोजेक्ट को शुरू किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट न केवल रायबरेली के पुर पांडे में शुरू किया जाएगा बल्कि इसे राज्य के कई जिलों में भी शुरू किया जाएगा। उन्हें यूनिवर्ससिटी की तरफ से 10 हजार डालर का पुरस्कार दिया जाएगा।

फोटोः मृणालिनी

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