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रिपोर्टः अमान अंसारी
लखनऊ।। शहर में नशा करने वालों की संख्या हर साल बढ़ती ही जा रही है और युवा कमजोर और असाह होते जा रहे है। पिछले पांच साल में रिहेबिलिटेशन सेंटर्स में आने वाले ड्रग्स एडिक्ट की संख्या वर्ष 2012 की तुलना में छह गुना हो गई है। इनमें 90 प्रतिशत एडिक्ट 18 से 30 साल के युवा हैं।
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सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि काउंसलिंग के लिए आने वाले ऐसे हर 10 लोगों में चार युवतियां होती हैं। चूंकि नशे के लिए ड्रग्स एडिक्ट को कम से कम 500 से 2000 रुपए रोज खर्च करना पड़ते हैं, इसलिए ये लोग अपराध से लेकर देह व्यापार तक हर हथकंडा अपना रहे हैं। यहां तक कि बदला लेने के लिए भी ड्रग्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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शहर के एक रिहेब सेंटर के डॉ. सुरेश अग्रवाल कहते हैं कि ड्रग्स एडिक्ट में से कोई चोर बन गया तो कोई कॉल गर्ल। काउंसलिंग के लिए आने वालों में 40-45 प्रतिशत तक युवतियां हैं। वहीं पिछले कुछ सालों में 10 युवतियां इलाज के लिए भर्ती हो चुकी हैं। जब युवक-युवतियों के पास पैसा नहीं होता तो नशे के लिए वह चोरी और देह व्यापार करने लगते है।
फोटोः प्रतीकात्मक
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