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लखनऊ ।। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) लखनऊ में जाति देखकर नंबर दिए जाने का मामला फिर तूल पकड़ रहा है। बहुजन छात्रों के विरोध करने पर प्रशासन ने जिन छात्रों को अधिर नंबर दिए गए थे उन्हें दोबारा वाइबा दिए जाने का आदेश दिया था, लेकिन सवर्ण छात्रों ने इसे नजर अंदाज कर दिया।

सवर्ण छात्रों की इस मनमानी को लेकर बहुजन छात्र आदोंलन कर रहे हैं। विरोध कर रहे छात्रों निम्न आरोप लगाए हैं।

दिनांक 28/01/2017 को घोषित परीक्षा परिणाम में एक जाति विशेष के छात्रों को सर्वाधिक अंक वाइवा में सजातीय शिक्षकों द्वारा देकर टॉप कराया जाता है, ऐसा क्यों???

13 स्वर्ण छात्रों जो की प्रायः कक्षा से अनुपस्थित रहते थे, इस बाबत उन्हें विभाग द्वारा नोटिस भी जारी की गयी थी, लेकिन इन सब के बाद भी सजातीय स्वर्ण शिक्षिकों ने अपने चहेतों को बिना योग्यता के टॉप कराया।

बहुजन छात्रों द्वारा इस परीक्षा परिणाम का जोरदार विरोध किया गया, लेकिन बीएड विभाग के शिक्षकों के सह पर 3 फर्जी टॉपर छात्र अत्यन्त गरीब बहुजन छात्र को जान से मारने की धमकी भी देते हैं। छात्र तुरंत वि.वि. प्रशासन और पुलिस को सूचना देता है, फिर भी कार्रवाई नहीं हुई।

दिनांक 03/02/2017 को छात्रों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन में जबरदस्ती एक जातिवादी शिक्षिका शालिनी अग्रवाल आकर छात्रों को जातिसूचक शब्द और धमकी देती हैं। इसकी सूचना छात्र तत्काल वि.वि. प्रशासन और प्रॉक्टर को देते हैं। परन्तु षड्यंत्र के तहत शिक्षिका शालिनी अग्रवाल 27 बहुजन छात्रों पर मारपीट और धमकी देने की फ़र्ज़ी FIR दिनांक 04/02/2017 को आशियाना थाने में करा देती हैं, ऐसा क्यों।

वि.वि. प्रशासन द्वारा जाति देखकर वाइवा में अंक दिए जाने का मामला संज्ञान में लेकर दिनांक 07/02/2017 एवम 22/02/2017 को नोटिस निकाल कर सभी टॉपर छात्रों का वाइवा पुनः कराने का आदेश देती है। परंतु वाइवा जो की 01/03/2017 और 03/03/2017 को हुआ उसमे सभी कथित टॉपर वि.वि. प्रशासन के आदेश को ताक पर रख कर दोबारा वाइवा नहीं देते हैं। इससे साफ़ जाहिर होता है, की बीएड विभाग में जाति देखकर अंक दिया जाता है। बीएड विभाग के सभी फ़र्ज़ी टॉपर अपने सजातीय स्वर्ण शिक्षक-शिक्षिकाओं की मिलीभगत से योग्यता अनुसार कम अंक आने के भय से वाइवा नहीं देते हैं।

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