नई दिल्ली। कहते हैं इतिहास की कहानियां ही इतिहास के बारे में समझती हैं और बताती हैं।ऐसी एक जानकारी समाने आ रही है जिसके मुताबिक क़ुतुब मीनार प्रांगण में लंबे समय से रखी गई गणेश प्रतिमा को सही स्थान मिले। इसके लिए नेशनल मॉन्यूमेंट अथॉरिटी ने ASI को पत्र लिखा था। ऐसे में करीब 1200 साल पुरानी इस मूर्ति को लेकर नए स्थान के लिए विचार विमर्श शुरू हो चुका है।
गणेश की इस प्रतिमा को राष्ट्रीय संग्रहालय में भी जगह देने पर विचार किया जा रहा है। बता दें कि क़ुतुब मीनार में मौजूद भगवान गणेश की इस 1200 साल पुरानी प्रतिमा को अगर आप देखेंगे तो आप खुद ही बोल पड़ेंगे कि क्या अद्भुत नक़्क़ाशी है। ये प्रतिमा 9वीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी के बीच की बताई जाती है।
कहा जाता हैं कि इस प्रकार की कलाकृति प्रतिहार राजाओं के दौर में बनाई जाती थी। कुतुब मीनार के आस-पास के क्षेत्र की अगर बात करें तो यहां प्रतिहार काल में कई तरह के निर्माण कार्य भी कराए गए थे। बताया जा रहा है कि कुतुब मीनार के ठीक सामने की ओर जमीन पर रखी इस प्रतिमा को सही जगह पर रखने को लेकर नेशनल मोन्यूमेंट ऑथोरिटी के चीफ तरुण विजय ने एएसआई को पत्र लिखा।
उन्होंने पत्र में इस बात की मांग की है कि इस अद्भुत मूर्ति को विशेष स्थान दिया जाए। एनएमए की तरफ से कहा गया कि इसको राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थान दिया जाए। गौरतलब है कि भारत सरकार की तरफ से देश में ऐसे 60 स्थान है, जहां पर वहीं से प्राप्त अवशेषों को उसी स्थान पर संग्रहालय बनाकर रखा गया है। ऐसे में एक प्रस्ताव ये भी है कि कुतुब मीनार में मिल रहे अवशेषों के लिए वहीं परिसर में संग्रालय बनाकर इस प्रतिमा को रख दिया जाये।
इस प्रतिमा को लेकर इतिहासकार अमित राय जैन कहते हैं कि ये तय किया जाना चाहिए कि आखिर किस स्थान पर इसको शिफ्ट करना है। ये प्रतिमा ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि जब 1192 में कुतुबद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया था।
ऐसे में लगभग 1000 साल बाद भी यहां के दृश्य और यहा फैली कलाकृतियों की स्थिति विवादास्पद बनी हुई है। वहीं इस पूरे मामले में फैसला संस्कृति मंत्रालय को करना है। बता दें कि एनएमए और एएसआई दोनों ही मंत्रालय के अधीन हैं। ऐसे में मूर्ति को जल्द सही स्थान मिले इसको लेकर जल्द से जल्द हो सकता है।
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