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एक महिला परिवार संग केदारनाथ की यात्रा के लिए आई थी। पवित्र स्थान पर आकर खुश हुई महिला भीड़ में अपने परिवार से बिछड़ गई। भाषा की समस्या के कारण वह इस अज्ञात स्थान में खो गई। भाषा की समस्या के कारण उनसे संपर्क नहीं हो सका। जिससे वह अकेलापन महसूस कर रही थी। उसने फिर तकनीकी मदद लेने के बारे में सोचा। उसने गूगल ट्रांसलेट की मदद ली। इसलिए वह अजनबियों के साथ संवाद करने में सक्षम थी। उन्होंने उसे उसके परिवार से मिलाने में मदद की।

68 साल की यह महिला आंध्र प्रदेश की रहने वाली हैं और तेलुगु अच्छी तरह जानती हैं। मगर वो हिंदी और अंग्रेजी में बात नहीं कर पा रही थी। पुलिस के अनुसार, केदारनाथ से लौटते वक्त मौसम खराब होने के कारण महिला अपने परिवार से बिछड़ गई। वह गौरीकुंड शटल पार्किंग में थी। महिला पुलिस अफसरों से हिंदी या अंग्रेजी में बात नहीं कर सकती थी।

पुलिस इंस्पेक्टर रमेशचंद्र बेलवाल ने पीटीआई-भाषा को बताया कि जब हमने उससे बात करने की कोशिश की तो वह न तो हिंदी बोल सकती थी और न ही अंग्रेजी। हमने उससे कहा कि वह इशारों-इशारों से अपने परिवार को वापस पा लेगी। हमने उसे पानी दिया। वह जो कहना चाह रही थी, उसकी व्याख्या करने के लिए उसने Google ट्रांसलेट की भी मदद ली।

पुलिस ने महिला द्वारा तेलुगू में दिए गए नंबर पर डायल किया तो पता चला कि उसका परिवार सोनप्रयाग में है। यह स्थान गौरीकुंड से करीबन 8 किमी. बुजुर्ग महिला अकेली रह गई। उसके परिजन उसकी तलाश कर रहे थे। आखिरकार पुलिस गूगल ट्रांसलेट के जरिए महिला के परिवार से संपर्क करने में सफल रही।

एक समाचार चैनल को बताया गया कि महिला के परिजनों की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने विशेष वाहन का इंतजाम कर महिला को सोनप्रयाग ले गई. वहां वह अपने परिवार से मिलीं।

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