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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) इस वक्त चर्चा का विषय है। इसी वजह से Google और Apple से लेकर हर कंपनी AI टूल्स डेवलप करने में पानी की तरह पैसा बहा रही है। इसके परिणामस्वरूप दुनिया भर में AI में विशेषज्ञता रखने वाले इंजीनियरों की मांग बढ़ी है।

भारत भी इस मुकाबले से दूर नहीं है। नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज यानी नैसकॉम का कहना है कि भारत में 51 फीसदी एआई इंजीनियरों की जरूरत कम है। देश में फिलहाल 4.16 लाख एआई इंजीनियर हैं। अन्य 2.13 लाख अतिरिक्त एआई इंजीनियरों की आवश्यकता है।

इंडिया को वैश्विक प्रौद्योगिकी उद्योग का बैक ऑफिस कहा जाता है। मगर भारत भी इस मांग-आपूर्ति के अंतर को पाटने में सफल नहीं हो पाया है।

नैसकॉम के अनुसार, भारत दुनिया के शीर्ष तीन प्रतिभा बाजारों में शामिल है, अमेरिका और चीन के साथ, दुनिया की एआई प्रतिभा का 16 प्रतिशत हिस्सा है। भारत के पास ज्यादा कुशल एआई, मशीन लर्निंग व बिग डेटा टैलेंट का विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा है।

डबल सैलरी देने को तैयार कंपनियां:

एआई विशेषज्ञों को इन दिनों बहुत अधिक भुगतान किया जा रहा है। वे 30-50 फीसदी ग्रोथ के साथ जॉब चेंज कर रहे हैं। एआई इंजीनियरों को बनाए रखने के लिए कंपनियां अच्छा वेतन देने को तैयार हैं। यही कारण है कि एआई इंजीनियर दोगुने वेतन के लिए एक कंपनी से दूसरी कंपनी में जा रहे हैं।

 

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