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छत्तीसगढ़ ओडिशा सरहद के छोर में बसा बस्तर शहर का आखिरी गांव चांदामेटा जहां के लोग पहली बार अपने ही गांव में ईवीएम देखेंगे और उसे पहली बार इस्तेमाल भी करेंगे। 

तुलसी डोंगरी के नीचे बसे इस गांव को नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। नक्सलियों ने इस गांव को अपना ट्रेनिंग सेंटर बना रखा था। इस गांव में आज तक किसी भी चुनाव में वोटिंग नहीं हुई है, लेकिन इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में गांव की तस्वीर अलग ही नजर आएगी।

भारत की आजादी के बाद इस साल पहला मौका होगा कि गांव में ही मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र के गांव के 367 मतदाता बेखौफ होकर वोट डालेंगे और पहली बार ही ईवीएम से निकलने वाली बीप की आवाज इस गांव में गूंजेगी। बस्तर के संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से 60 से 65 किलोमीटर की दूरी पर चांदामेटा गांव बसा है।

जगदलपुर के कोलेंग और झिंगुर होते हुए चांदामेटा जाया जाता है। गांव घने जंगल और पहाड़ी से घिरा हुआ है। इस गांव में कुल पांच मोहल्ले हैं। कलंगी को नक्सलियों की राजधानी और चांदामेटा को नक्सलियों का किला भी कहा जाता था। पास ही तुलसी डोंगरी की पहाड़ी है, जो दो राज्य ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सीमा को जोड़ती है। लेकिन अबकी बार यहां कुछ अलग की तस्वीर होगी। 

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