
Up Kiran, Digital Desk: तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे इलाकों में सुरक्षा एजेंसियों ने 'हाई अलर्ट' जारी कर दिया है। यह अलर्ट माओवादियों (नक्सलियों) द्वारा मनाए जाने वाले तथाकथित 'शहीद सप्ताह' के मद्देनजर जारी किया गया है। इस दौरान नक्सली अपनी गतिविधियों को तेज़ कर सकते हैं, इसलिए सुरक्षाबल पूरी तरह से चौकस हैं।
क्या है 'माओवादी शहीद सप्ताह'?
माओवादी (नक्सली) हर साल अपने मारे गए साथियों की याद में एक 'शहीद सप्ताह' मनाते हैं। इस दौरान वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने, युवाओं को अपनी विचारधारा से जोड़ने और सुरक्षाबलों पर हमले करने की कोशिश करते हैं। वे अक्सर सड़कों को अवरुद्ध करना, धमकी भरे पोस्टर लगाना, या छोटे-मोटे हमलों को अंजाम देना जैसी हरकतें करते हैं।
सीमावर्ती इलाकों में क्यों अलर्ट?
तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की सीमाएं घने जंगलों और दुर्गम इलाकों से घिरी हुई हैं, जो नक्सलियों के लिए छिपने और अपनी गतिविधियों को अंजाम देने का एक सुरक्षित ठिकाना बन जाता है। ये इलाके अक्सर उनके गढ़ माने जाते हैं। 'शहीद सप्ताह' के दौरान इन इलाकों में उनकी गतिविधियां बढ़ने की आशंका होती है, इसलिए सुरक्षा एजेंसियों ने:
कड़ी निगरानी: सीमावर्ती इलाकों में गश्त बढ़ा दी है और हर संदिग्ध गतिविधि पर कड़ी नज़र रखी जा रही है।
तलाशी अभियान: जंगलों और संदिग्ध ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाए जा रहे हैं।
चेकपॉइंट्स: सड़कों पर विशेष चेकपॉइंट्स बनाए गए हैं और वाहनों की तलाशी ली जा रही है।
खुफिया जानकारी: खुफिया एजेंसियों को भी सक्रिय कर दिया गया है ताकि किसी भी संभावित खतरे का समय रहते पता लगाया जा सके।
लोगों को सतर्क रहने की सलाह: सुरक्षा एजेंसियों ने सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले स्थानीय लोगों से भी सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को देने की अपील की है। उन्हें रात में अनावश्यक रूप से बाहर न निकलने और जंगली इलाकों से दूर रहने की सलाह दी गई है।
सरकार का लक्ष्य है कि इस 'शहीद सप्ताह' के दौरान किसी भी नक्सली गतिविधि को सफल न होने दिया जाए और क्षेत्र में शांति व सुरक्षा बनी रहे। सुरक्षाबल पूरी तरह तैयार हैं और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए मुस्तैद हैं।
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