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नशा मुक्ति केंद्रों में नशेड़ियों को अमानवीय यातनाएं दी जाती हैं। ये खुलासा अमृतसर में हुआ। छेहरटा और सुल्तानविंड इलाके में चल रहे दो रेस्क्यू सेंटरों से 40 लोगों को बचाया गया है।

दरअसल, मंगलवार को पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने संयुक्त अभियान के दौरान निजी तौर पर संचालित दो नशा मुक्ति केंद्रों पर छापेमारी की। यहां से लगभग 40 मरीजों को बचाया गया और उन्हें उपचार के लिए सरकारी नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र भेजा गया।

इस प्रकरण में सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि ये दोनों नशा मुक्ति केंद्र छेहरटा और सुल्तानविंड क्षेत्र में चल रहे थे। ये दोनों अवैध हैं और निजी तौर पर चलाए जाते हैं। इनकी जांच के दौरान कई कमियां सामने आईं। पुलिस ने इन दोनों नशा मुक्ति केंद्रों को सील कर दिया है।

रेड करने वाली टीम का नेतृत्व एडीसीपी डॉ. दर्पण अहलूवालिया और एसीपी मनिंदर पाल सिंह ने किया। इस टीम में स्वास्थ्य विभाग से डॉ. भारती धवन व अन्य स्वास्थ्य कर्मी शामिल थे। प्रवक्ता ने बताया कि प्रशासन को इन दोनों केंद्रों के बारे में शिकायत मिली थी कि मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है।

इन सेंटरों की जांच की मांग की गई, जिसके बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापा मारा। इस ऑपरेशन के दौरान इन दोनों नशा मुक्ति केंद्रों से करीब 40 नशेड़ियों को बचाया गया, जिन्होंने इन केंद्रों में होने वाले अमानवीय अत्याचार के बारे में भी जानकारी दी।

 

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