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यूपी में इस बार गेहूं की जगह दलहनी और तिलहनी जैसी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। राज्य में 98 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बोवाई की जाती है, जबकि 12 लाख हेक्टेयर में दलहनी और तिलहनी फसलों की बोवाई की जाती है। यह स्थिति कृषि विभाग की आंकड़ों के अनुसार है। इस बार किसानों को चना, मटर, मसूर, सरसों और अलसी की उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष प्रेरणा दी जाएगी। राज्य स्तरीय रबी गोष्ठियों के बाद अब प्रदेश में मण्डलीय रबी गोष्ठियों का आयोजन होगा। इन मण्डलीय रबी गोष्ठियों का समय निर्धारित किया जा चुका है।

यूपी में लगभग 370 लाख मीट्रिक टन गेहूं 40 कुंतल प्रति हेक्टेयर पर पैदा होता है, जबकि 10 कुंतल प्रति हेक्टेयर दलहनी और तिलहनी फसलों की पैदावार होती है। इस बार न केवल दलहनी-तिलहनी फसलों का क्षेत्रफल बढ़ाया जाएगा, बल्कि प्रति हेक्टेयर उत्पादकता भी बढ़ाई जाएगी। किसानों को सूक्ष्म पोषक तत्वों और उर्वरकों का संतुलित रूप से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

सहायक कृषि निदेशक, प्रसार, आर.के.सिंह ने बताया कि इन रबी गोष्ठियों के एजेंडे में प्राकृतिक खेती, पराली और गन्ने के अवशेष का प्रबंधन, कृषक उत्पादक संगठनों की संख्या बढ़ाने और उन्हें प्रोत्साहित करना भी शामिल है। कृषि विभाग ने 16 नवंबर को अयोध्या में देवीपाटन व अयोध्या मण्डल की रबी गोष्ठी का संशोधित कार्यक्रम जारी किया है। 18 नवंबर को अयोध्या में बस्ती, गोरखपुर और आजमगढ़ मण्डलों की गोष्ठी होगी; 21 नवंबर को सहारनपुर, मेरठ और मुरादाबाद मण्डलों की गोष्ठी होगी; 23 नवंबर को अलीगढ़, आगरा और बरेली मण्डलों की गोष्ठी होगी; 25 नवंबर को कानपुर, झांसी और चित्रकूट मण्डलों की गोष्ठी होगी; और 28 नवंबर को प्रयागराज, वाराणसी और विंध्यांचल मण्डलों की गोष्ठी होगी।

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