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एशिया कप और वनडे वर्ल्ड कप नजदीक आने के बावजूद भी भारत की वनडे टीम तय होती नजर नहीं आ रही है। 2019 विश्व कप से पहले चौथे नंबर की समस्या अभी भी भारतीय टीम के गले में बैठी हुई है। भारत ने 2013 के बाद से कोई आईसीसी टूर्नामेंट नहीं जीता है। उम्मीद थी कि रवि शास्त्री के बाद राहुल द्रविड़ आईसीसी टूर्नामेंटों में भारत का सूखा खत्म करेंगे, मगर द्विपक्षीय सीरीज के अलावा भारतीय टीम विदेश में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई है। भारतीय टीम के गिरते ग्राफ के लिए अकेले द्रविड़ को दोषी ठहराना गलत होगा।

वर्कलोड मैनेजमेंट- भारतीय टीम के व्यस्त कार्यक्रम को देखते हुए खिलाड़ियों के वर्कलोड को मैनेज करना जरूरी है, मगर इस बार देखा जा रहा है कि एनसीए से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। भारतीय टीम चोटों से जूझ रही है और द्रविड़ को निरंतर अलग-अलग खिलाड़ियों के साथ अलग-अलग श्रृंखलाओं का सामना करना पड़ा है। इसमें एशिया कप 2022 और वर्ल्ड कप 2022 भी शामिल है। लोकेश राहुल, हार्दिक पंड्या, दीपक चाहर, श्रेयस अय्यर, रोहित शर्मा और जसप्रित बुमरा को चोट के कारण बाहर बैठना पड़ा।

कप्तानों का बदलना- राहुल द्रविड़ के कार्यकाल में भारतीय टीम को निरंतर अलग-अलग कप्तानों के साथ खेलना पड़ा है। चोटिल खिलाड़ियों और वर्क लोड मैनेजमेंट के कारण यह बदलाव करना पड़ा है। उनके अब तक के कार्यकाल में भारतीय टीम तीन प्रारूपों में 8 कप्तानों के नेतृत्व में खेल चुकी है।

निरंतर बदलाव - कार्यभार को प्रबंधित करने के लिए टीम में निरंतर बदलाव देखा गया। सीनियर विराट कोहली और रोहित शर्मा को सबसे ज्यादा आराम दिया गया। मोहम्मद शमी को भी आराम दिया गया। रोहित के बिना क्या कर सकती है टीम इंडिया और विराट आए वेस्टइंडीज दौरे पर।
 

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