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एक बार फिर नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया है। वे विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए हैं। हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में नेशनल एथलेटिक्स सेंटर में नीरज ने जैवलिन थ्रो इवेंट में 100 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक पर निशाना साधा। फाइनल में कुल छह राउंड होते हैं और नीरज ने दूसरे ही राउंड में 100 मीटर का थ्रो कर डाला था। इसके बाद से ही वे पॉइंट्स टेबल में लीड पर बने रहे और आखिर तक ये लीड कायम रखी। वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में ये भारत का ओवरऑल तीसरा मेडल है।

नीरज चोपड़ा भारतीय खेल इतिहास के सबसे बड़े एथलीट के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। हालांकि यहां तक पहुंचने का सफर उनके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था। नीरज का जन्म हरियाणा के पानीपत में हुआ है। वह छोटे से गांव खंडाला में किसान परिवार में 24 दिसंबर 1997 को पैदा हुए थे। अपनी शुरुआती पढ़ाई उन्होने भारतीय विद्या निकेतन स्कूल भलुही से की थी। इसके बाद नीरज ने चंडीगढ़ में एक बीबीए कॉलेज में एडमिशन लिया, जहां से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। बचपन में नीरज काफी हेल्दी या फिर यूं कह लीजिए की गोलू मोलू से दिखते थे।

ज्यादा मोटापे के कारण गांवों के बच्चे नीरज का खूब मजाक भी उड़ाया करते थे। जिसके बाद उनके चाचा भीम चोपड़ा ने 13 साल के नीरज को स्टेडियम ले जाना शुरू किया और वहां पे दौड़ लगवाई। एकबार इस स्टेडियम में कुछ बच्चे जैवलिन कर रहे थे। नीरज वहां खड़े होकर उनको देखने लगे।

तभी मैदान पर मौजूद कोच ने उनसे कहा कि आओ तुम भी जेवलिन फेंको। नीरज ने जमीन फैका और वह काफी दूर जाकर गिरा। बस यहीं से उनके जेवलिन थ्रोअर बनने का सफर भी शुरू हो गया। कुछ दिनों तक नीरज ने पानीपत के स्कूल में ट्रेनिंग की। फिर वह पंचकुला चले गए और वहां ट्रेनिंग करने लगे। नीरज चोपड़ा अपने परिवार के 10 चचेरे भाई बहनों में सबसे बड़े हैं। नीरज के बचपन में उनके परिवार की हालत बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी। उनके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह नीरज को डेढ़ लाख रुपये का जैवलिन दिला सकें। पिता सतीश चोपड़ा और चाचा ने दिन रात एक कर ₹7,000 जोड़े और उन्हें प्रैक्टिस के लिए एक जैवलिन लाकर दिया। अपने करियर के शुरूआती दिनों में नीरज यू ट्यूब से सीखकर भाला फेंकने की प्रैक्टिस किया करते थे।

साल 2016 में उन्होंने जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिक्स मीटर के अंडर वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल अपनी झोली में डाला था। इस रिकॉर्ड के बाद आर्मी ने उन्हें राजपुताना रेजिमेंट में बतौर जूनियर कमीशंड ऑफिसर के तौर पर नायब सूबेदार के पद पर नियुक्त किया। टोक्यो ओलंपिक के फाइनल में नीरज ने मीटर जैवलिन थ्रो कर गोल्ड पर निशाना साधा था। ऐथलेटिक्स में देश के लिए गोल्ड जीतने वाले नीरज पहले एथलीट भी बने थे। नीरज चोपड़ा को चूरमा बहुत पसंद है। सोशल मीडिया पर लड़कियां उनके लुक्स की दीवानी हैं। 

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