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रेलगाड़ी से सफर करते वक्त या प्लेटफॉर्म पर खड़े होते समय अक्सर रेलवे पटरी पर ध्यान जाता है। चलती ट्रेन से देखने पर ऐसा लगता है मानों पटरियाँ आपके साथ चल रही हों।

इन रेल पटरियों को देखने के बाद एक और बात जो दिमाग में आती है वह है ट्रैक की लोहे की सलाखों के आसपास रखी गई बजरी। क्या आप ठीक से जानते हैं कि ये कंकड़ वहां क्यों हैं?

रेलवे पटरियों को बजरीयुक्त बनाने का एक कारण यह है कि इससे पटरियाँ मजबूत हो जाती हैं। रेलवे पटरियाँ कंक्रीट के स्लीपरों पर बिछाई जाती हैं। उनके बीच एक गैप है.

यदि ट्रैक और स्लीपर के बीच गैप है तो निचले स्लीपर के फिसलने की संभावना अधिक होती है। इसलिए वहां इन छोटे-छोटे पत्थरों का होना बहुत जरूरी है।

जब कोई ट्रेन तेज गति से पटरियों पर चलती है तो पटरियों में काफी कंपन महसूस होता है। ये बजरी उन कंपन को कम करने का काम करती हैं, इसीलिए इन्हें 'ट्रैक गिट्टी' भी कहा जाता है।

आपको बता दें कि रेल की पटरी पर अलग-अलग साइज की चट्टानें रखने का कारण ये है कि वे अपने अलग-अलग आकार के कारण एक-दूसरे को मजबूती से पकड़ते हैं। यदि एक ही आकार के पत्थर फेंके जाएं तो उनके बीच घर्षण की संभावना ज्यादा होती है।

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