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13 जुलाई को चंद्रयान थ्री के प्रक्षेपण की उम्मीद है। तैयारियां जोरों पर हैं। 13 जुलाई को मिशन चंद्रयान की लॉन्चिंग होनी है। अगर चंद्रयान तीन का लैंडर चांद पर उतरने में सफल रहा तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर अपना स्पेसक्राफ्ट उतार चुके हैं। इसरो की तैयारी अंतिम पड़ाव पर है। इसके साथ ही भारतीय स्पेस एजेंसी के पास रूस से आगे निकलने का एक नया अवसर है।

रूस ने अपना मून लैंडर मिशन स्थगित कर दिया है। ऐसा ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर के एडिशनल चेक्स पूरे न होने की वजह से किया गया है। इससे पहले दो हज़ार 22 में भी रूसी मिशन तकनीकी दिक्कतों की वजह से टाल दिया गया था। ऐसे में भारत के चंद्रयान तीन के बाद रूस से पहले चंद्रमा पर उतरने का मौका है।

जानकारी के मुताबिक, चंद्रयान थ्री के इस बार तीन हिस्से हैं। पहला प्रपल्शन मॉड्यूल यह स्पेसशिप को उड़ाने वाला हिस्सा है लैंडर मॉड्यूल। यह शिप को चंद्रमा पर उतारने वाला हिस्सा है। रोवर यह चंद्रमा की सतह पर घूमकर जानकारी एकत्र करने वाला हिस्सा है। चंद्रयान 2 में इन तीनों के अलावा एक हिस्सा और था जिसे ऑर्बिटर कहा जाता है। उसे इस बार नहीं भेजा जा रहा है। चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर पहले से ही चंद्रमा का चक्कर काट रहा है। अब इसरो उसका इस्तेमाल चंद्रयान 3 में करेगा।

चंद्रयान तीन थ्री एक लैंडर को तैनात करेगा। इस लैंडर का काम चांद के तापमान, वहां भूकंप और सौर हवाओं का पता लगाना होगा। चंद्रयान तीन मिशन पर करीब साढ़े छय सौ करोड़ की लागत आई है। अमेरिका और चीन चंद्रमा पर स्थायी अड्डे बनाने की तैयारी में हैं। लिहाजा भारत भी किसी हाल में पीछे नहीं रह सकता है। 

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