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Up Kiran, Digital Desk: संसद के मानसून सत्र का सातवां दिन 29 जुलाई को था और इस दिन का मुख्य विषय भारत की सुरक्षा और आतंकवाद से जूझने के उपायों पर केंद्रित रहा। इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई, मगर सबसे अधिक ध्यान ऑपरेशन सिंदूर और हालिया आतंकवादी हमलों पर केंद्रित था।
22 अप्रैल 2024 को कश्मीर के बैसरन घाटी में एक आतंकवादी हमले ने देश को हिला दिया था जब दहशतगर्दों ने धर्म पूछकर निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी थी। इसके बाद हिंदुस्तानी फौज ने पाकिस्तान के विरुद्ध ऑपरेशन सिंदूर चलाया ताकि यह संदेश दिया जा सके कि अगर पाकिस्तान ने भारत की ओर आंख उठाई, तो उसे कड़ी जवाबी कार्रवाई का सामना करना होगा।
इस संदर्भ में गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर और इसके बाद सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन महादेव की चर्चा की, जिसमें तीन आतंकवादी मारे गए। उन्होंने यह भी बताया कि इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों का सफाया करना भारत की प्राथमिकता बन गई है।
इसके साथ ही एक और अहम मुद्दा सामने आया। विपक्षी दल कांग्रेस पर इल्जाम लगते हुए अमित शाह ने कहा कि यूपीए सरकार के समय में आतंकवादी हमले ज्यादा थे। उन्होंने बताया कि भाजपा सरकार के आने के बाद आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है।
कांग्रेस और भाजपा के शासनकाल में आतंकवाद का ग्राफ
अमित शाह ने आंकड़े साझा करते हुए बताया कि कांग्रेस शासन में 27 बड़े आतंकी हमले हुए, जिनमें लगभग 1000 लोग मारे गए। उनके अनुसार, भाजपा सरकार के कार्यकाल में आतंकी घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। शाह ने यह भी कहा कि वर्तमान समय में जो आतंकवादी घटनाएं हुई हैं, वे अधिकतर कश्मीर में और पाकिस्तान से जुड़े आतंकियों द्वारा की गईं हैं।
भारत में आतंकवाद की स्थिति पर बात करते हुए उन्होंने दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल (SATP) के आंकड़ों का हवाला दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, 2000 से 2024 के बीच भारत में कुल 22,143 आतंकवादी हमले हुए हैं, जिनमें से 4981 आम नागरिकों की मौत हुई। साथ ही, 3624 सुरक्षा बल शहीद हुए हैं।
2004 से 2024 तक आतंकी हमलों की प्रवृत्ति
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 2004 से 2014 तक 7217 आतंकी हमले हुए, वही 2014 से 2024 तक यह संख्या घटकर 2242 रह गई। 2015 में कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले को लेकर भी उल्लेख किया गया, जिसमें आतंकी गतिविधियों में जनहानि में 70 प्रतिशत की कमी आई। 81 प्रतिशत नागरिकों की मौत में गिरावट आई और सुरक्षा बलों के शहीद होने की संख्या भी 50 प्रतिशत घट गई।
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