Up kiran,Digital Desk : 100 करोड़ रुपये। यह कोई छोटी रकम नहीं है। और दुख की बात यह है कि यह पैसा किसी बड़े अमीर सेठ का नहीं, बल्कि उन गरीब महिलाओं, दिहाड़ी मजदूरों और आम लोगों का था, जिन्होंने पेट काटकर एक-एक पैसा जोड़ा था।
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में सक्रिय 'लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट को-ऑपरेटिव सोसायटी' (LUCC) ने हजारों लोगों की गाढ़ी कमाई पर डाका डाला है। अब इस मामले में हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सीबीआई (CBI) जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इतना ही नहीं, इस मामले में बॉलीवुड के दो जाने-माने अभिनेताओं को भी आरोपी बनाया गया है।आइए, इस पूरे घोटाले की कहानी आसान भाषा में समझते हैं।
गरीबों की जेब पर 100 करोड़ का डाका
इस कंपनी ने लोगों को अच्छे रिटर्न का लालच देकर निवेश करवाया। जिन लोगों ने पैसा लगाया, वे ज्यादातर छोटे आय वर्ग के थे—जैसे सब्जी बेचने वाले, घरों में काम करने वाली महिलाएं या मजदूर। जब पैसा वापस देने की बारी आई, तो कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए।
पुलिस जांच में पता चला कि उत्तराखंड और यूपी समेत कई राज्यों में इस कंपनी ने अपना जाल फैला रखा था। इसका मुख्य सरगना समीर अग्रवाल नवी मुंबई का रहने वाला है, जिसने वहीं बैठकर यह पूरा खेल रचा।
फिल्मी सितारे भी फंसे: 'संस्कारी बाबूजी' और श्रेयस तलपड़े भी आरोपी
हैरानी की बात यह है कि इस घोटाले की एफआईआर (FIR) में दो बड़े फ़िल्मी सितारों के नाम भी शामिल हैं:
- श्रेयस तलपड़े (गोलमाल फेम अभिनेता)
- आलोक नाथ (जिन्हें लोग 'बाबूजी' के नाम से जानते हैं)
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, ये दोनों अभिनेता कंपनी के ब्रांड एम्बेसडर थे। यानी कंपनी ने इनके चेहरे का इस्तेमाल करके लोगों का भरोसा जीता। चार्जशीट में इनका नाम भी आरोपियों की लिस्ट में डाला गया है।
हाईकोर्ट का डंडा: अब CBI करेगी दूध का दूध पानी का पानी
पहले यह मामला पुलिस के पास था और BUDS Act (बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपोजिट स्कीम) के तहत कार्रवाई हो रही थी। 2024-25 के बीच देवप्रयाग, ऋषिकेश, कोटद्वार, देहरादून और टिहरी जैसे कई थानों में 10 एफआईआर दर्ज हुईं। पुलिस चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी थी।
लेकिन ऋषिकेश के एक पीड़ित ने हिम्मत दिखाई और हाईकोर्ट में पीआईएल (PIL) दाखिल कर दी। मामला बढ़ा तो कोर्ट ने पुलिस जांच से आगे बढ़ते हुए 17 सितंबर 2025 को आदेश दिया कि पूरे घोटाले की जांच अब देश की सबसे बड़ी एजेंसी CBI करेगी।
मालिक से लेकर एजेंट तक, सब लपेटे में
- मास्टरमाइंड: समीर अग्रवाल (नवी मुंबई) और दिनेश सिंह (गाजियाबाद)।
- लोकल लिंक: घोटाले को फैलाने में स्थानीय एजेंटों और ब्रांच मैनेजरों का बड़ा हाथ था। ऋषिकेश, पौड़ी, कोटद्वार, विकासनगर, और श्रीनगर गढ़वाल के कई एजेंटों और मैनेजरों के नाम चार्जशीट में हैं। इनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं जो लोगों को पॉलिसी बेचती थीं।
सड़कों पर उतरी महिलाएं
मार्च 2025 से ही पीड़ित महिलाएं अपने हक के लिए लड़ रही हैं। उन्होंने कोर्ट के चक्कर काटे, सड़कों पर प्रदर्शन किया और यहां तक कि राजभवन तक मार्च निकाला। अब सीबीआई जांच के आदेश से इन हजारों परिवारों को न्याय की एक उम्मीद जगी है।
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