Up kiran,Digital Desk : दिल्ली-एनसीआर की हवा अब सिर्फ खराब नहीं, बल्कि जहरीली हो चुकी है। इसका असर अब इतना गहरा हो गया है कि लोग यहां से पलायन करने को मजबूर हैं। जिस शहर को कभी लोग अपने सपनों का घर कहते थे, आज वहां सांस लेना भी दुश्वार हो गया है। हाल ही में सामने आया एक सर्वे बताता है कि कैसे प्रदूषण ने आम आदमी की जिंदगी, सेहत और जेब—तीनों को हिलाकर रख दिया है।
31 फीसदी लोग बना रहे हैं शहर छोड़ने का मन
क्या आप भी दिल्ली छोड़ने का सोच रहे हैं? आप अकेले नहीं हैं। 'स्मिटेन पल्सएआई' के एक ताजा सर्वे ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। सर्वे के मुताबिक, करीब 31 फीसदी लोग अब गंभीरता से दिल्ली-एनसीआर छोड़कर किसी दूसरी जगह बसने का प्लान बना रहे हैं। ये सिर्फ बातें नहीं हैं; लोग दूसरे शहरों में घर देख रहे हैं और बच्चों के स्कूल भी ढूंढने लगे हैं।
हैरान करने वाली बात यह है कि 15.2 फीसदी लोग तो प्रदूषण से तंग आकर पहले ही दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं। लोग पहाड़ों या ऐसे छोटे शहरों की तलाश में हैं जहां फैक्ट्रियां कम हों और कम से कम हवा तो साफ मिले।
खांसी, थकान और आंखों में जलन—हर घर की कहानी
प्रदूषण का असर सेहत पर कितना भयानक है, इसका अंदाजा इन आंकड़ों से लगाइए कि 80 फीसदी से ज्यादा लोग किसी न किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं।
- पुरानी खांसी, हमेशा रहने वाली थकान, आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ अब आम बात हो गई है।
- सर्वे में शामिल 68.3 फीसदी लोगों ने माना कि पिछले एक साल में उन्हें प्रदूषण की वजह से डॉक्टर के पास जाना पड़ा।
हवा भी महंगी और इलाज भी
प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि आपकी जमा-पूंजी को भी जला रहा है। सर्वे में शामिल 85.3 फीसदी परिवारों ने कहा कि प्रदूषण की वजह से उनका घरेलू खर्च बढ़ गया है। पहले जो पैसा खुशियों पर खर्च होता था, अब वो एयर प्यूरीफायर, महंगे एन-95 मास्क और दवाइयों पर खर्च हो रहा है। करीब 42 फीसदी लोग तो इस अतिरिक्त खर्च की वजह से आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। स्वागत सारंगी (स्मिटेन पल्सएआई के सह-संस्थापक) का कहना है कि खराब हवा अब पर्यावरण से ज्यादा लाइफस्टाइल का मुद्दा बन गई है।
अब सरकार ले रही है हाई-टेक मदद: बनेंगे 6 नए स्टेशन
इस दमघोंटू माहौल के बीच सरकार भी अब जागी है और हवा की निगरानी सख्त करने जा रही है। दिल्ली सरकार ने हवा की गुणवत्ता जांचने के लिए 6 नए 'कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग स्टेशन' (CAAQMS) लगाने का काम शुरू कर दिया है।
कहाँ लगेंगे ये स्टेशन?
- जेएनयू (JNU)
- इग्नू (IGNOU)
- मालचा महल के पास
- दिल्ली कैंट
- कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स
- नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (वेस्ट कैंपस)
क्या फायदा होगा?
15 जनवरी तक इन सभी स्टेशनों के चालू होने की उम्मीद है। ये स्टेशन 24 घंटे काम करेंगे और प्रदूषण के खतरनाक कणों (जैसे PM 2.5, PM 10, सल्फर और नाइट्रोजन गैसों) का रीयल-टाइम डेटा देंगे। पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा का मानना है कि इससे यह पता चलेगा कि प्रदूषण का असली 'हॉटस्पॉट' कहाँ है और तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।
शहर में अब वैज्ञानिक डेटा के आधार पर प्रदूषण से लड़ाई लड़ी जाएगी। इन स्टेशनों के डेटा को बड़े डिस्प्ले बोर्ड्स पर दिखाया जाएगा ताकि जनता भी जागरूक रहे। अब देखना यह है कि क्या ये नई तकनीकें और कदम दिल्लीवालों को वह 'साफ हवा' दे पाएंगे, जिसकी उन्हें सख्त जरूरत है, या फिर पलायन का यह सिलसिला ऐसे ही जारी रहेगा
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