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Up kiran,Digital Desk : उत्तराखंड के बहुचर्चित चिटफंड घोटाले में अब कानून का डंडा और जोर से चलने वाला है। 'लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट को-ऑपरेटिव सोसायटी' (LUCC) के महाघोटाले की जांच अब आधिकारिक तौर पर देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) के हाथों में आ गई है।

सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एफआईआर में जिन 46 लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें बॉलीवुड के दो मशहूर चेहरे—अभिनेता श्रेयस तलपड़े और 'संस्कारी बाबूजी' आलोक नाथ का नाम भी शामिल है।

सपने दिखाए, शाखाएं खोलीं और करोड़ों लेकर रफूचक्कर

यह पूरा खेल 2019 में शुरू हुआ था। एलयूसीसी ने उत्तराखंड में कदम रखा और देखते ही देखते 35 शाखाएं खोल डालीं। तरीका वही पुराना था—गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों को निवेश पर मोटे ब्याज का लालच देना। उन्होंने लोगों को सपने दिखाए कि उनका पैसा विदेश में सोने, तेल और रिफाइनरी के धंधे में लगाया जाएगा।

सीधे-सादे लोगों, जिनमें ज़्यादातर महिलाएं और दिहाड़ी मजदूर थे, उन्होंने अपनी खून-पसीने की कमाई इसमें लगा दी। जब पैसा वापस (मैच्योरिटी) देने का वक्त आया, तो एक-एक करके कंपनी के दफ्तर बंद होने लगे। एजेंटों के पास भी कोई जवाब नहीं था। तब जाकर लोगों को अहसास हुआ कि वे ठगे गए हैं।

कोटद्वार की एक शिकायत बनी आधार

पहली बार पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से तब लिया जब 1 जून को कोटद्वार कोतवाली में तृप्ति नेगी नाम की महिला ने शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद तो शिकायतों की बाढ़ आ गई। पुलिस ने कुल 18 एफआईआर दर्ज कीं और 10 मामलों में चार्जशीट भी दाखिल कर दी।

लेकिन मामला इतना बड़ा था कि पुलिस की जांच काफी नहीं थी। पीड़ित महिलाएं सड़कों पर उतर आईं। देहरादून में सीएम आवास कूच तक किया गया। आखिरकार, सितंबर में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। अब सीबीआई ने कोटद्वार वाली एफआईआर को आधार (Base Case) बनाकर अपनी जांच शुरू कर दी है।

जब गृहमंत्री के दर पर पहुंचे चार सांसद

इस घोटाले की गूंज दिल्ली तक सुनी गई। उत्तराखंड के लोगों का गुस्सा देखकर राज्य के चार बड़े सांसद—त्रिवेंद्र सिंह रावत, अनिल बलूनी, अजय भट्ट और माला राज्यलक्ष्मी शाह—24 जुलाई को सीधे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले। उन्होंने इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की थी। हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही सीबीआई जांच के लिए हरी झंडी दिखा चुके थे।

अब जब सीबीआई ने मोर्चा संभाल लिया है, तो उम्मीद जगी है कि गरीबों का डूबा पैसा शायद वापस मिल जाए और बड़े नामों के पीछे छिपे असली गुनहगारों को सजा मिले।