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Up Kiran, Digital Desk: एक छोटा-सा द्वीप देश, जिसकी आबादी महज 12 लाख के करीब है और जिसमें लगभग 48 प्रतिशत लोग हिंदू धर्म को मानते हैं यही मॉरीशस है, जो अब भारत की विदेश नीति में एक अहम स्थान लेता जा रहा है। हिंद महासागर के केंद्र में बसे इस राष्ट्र की भारत से लगभग 5100 किलोमीटर की दूरी है, मगर कूटनीतिक रूप से यह नजदीकी दिनों-दिन और भी गहराती जा रही है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम से फोन पर बातचीत की। इस बातचीत में द्विपक्षीय सहयोग, समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय विकास जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर इस संवाद की जानकारी साझा की और कहा कि मॉरीशस भारत के ‘विजन महासागर’ और ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का एक अभिन्न सहयोगी है।

राजनीतिक रिश्तों में गर्मजोशी

पीएम मोदी ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री को भारत आने का न्योता भी दिया। इससे पहले मार्च 2024 में प्रधानमंत्री मोदी एक दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस पहुंचे थे, जहाँ उन्हें राष्ट्रीय दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। यह दूसरा अवसर था जब वे इस आयोजन में मुख्य अतिथि बने, पहला मौका 2015 में आया था।

इस समारोह में मॉरीशस के राष्ट्रपति ने मोदी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी प्रदान किया, जो अब तक किसी भारतीय प्रधानमंत्री को नहीं मिला था। यह सम्मान केवल राजनयिक संबंधों की नहीं, बल्कि एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी की भी पहचान है।

हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक दृष्टि

कहावत है कि जो समुद्रों पर नियंत्रण रखता है, वही विश्व व्यवस्था को प्रभावित करता है। इसी सोच के साथ भारत ने ‘विजन सागर’ नीति की शुरुआत की थी, जो अब ‘विजन महासागर’ नाम की एक और व्यापक योजना में तब्दील हो गई है।

यह नई नीति सिर्फ समुद्री सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यापार, अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक मामलों को भी इसमें शामिल किया गया है। इस रणनीति का एक स्पष्ट उद्देश्य है हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना और क्षेत्रीय देशों के साथ भारत की साझेदारी को मजबूत बनाए रखना।

मॉरीशस की भूमिका क्यों है अहम

मॉरीशस जैसे छोटे द्वीपीय देश भारत की इस नीति में एक मजबूत स्तंभ हैं। इन देशों के साथ भारत का रक्षा सहयोग, सूचना साझा करने की व्यवस्था और नौसेना के संयुक्त अभ्यास लगातार बढ़ रहे हैं। समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने जैसी गतिविधियों पर नजर रखने में भी भारत की सक्रिय भूमिका दिख रही है।

विजन महासागर के माध्यम से भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि हिंद महासागर में उसकी उपस्थिति निर्णायक और स्थिर बनी रहे।

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