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Up kiran,Digital Desk : दुर्गा पूजा के festive माहौल में जब एक क़त्ल हुआ, तो पूरा शहर कांप गया था। वो कोई मामूली झगड़ा नहीं था, वो एक ऐसी चिंगारी थी जिसने पूरे जिले में हिंसा की आग लगा दी। हम बात कर रहे हैं चर्चित रामगोपाल हत्याकांड की, जिसे अब 14 महीने बीत चुके हैं। आज उसी मामले में 11 दोषियों को सज़ा सुनाई जानी है और सबकी नज़रें अदालत पर टिकी हैं।

वो 13 अक्टूबर 2024 का दिन था, जिसे रामगोपाल का परिवार कभी नहीं भूल सकता। उस दिन के बाद से उनकी दुनिया ही बदल गई। आज भी उस घटना को यादकर रामगोपाल की माँ, मुन्नी देवी, की आँखों से आंसू नहीं रुकते। बेटे का नाम लेते-लेते उनकी आवाज़ सिसकियों में डूब जाती है। पत्नी रोली मिश्रा की आँखें इंसाफ़ के इंतज़ार में मानो पथरा सी गई हैं।

परिवार का सहारा अब बड़ा बेटा हरमिलन है, जो बीमार पिता की देखभाल भी कर रहा है। बेटे की मौत का सदमा पिता कैलाश नाथ मिश्र की सेहत पर ऐसा बैठा कि वो अब तक उबर नहीं पाए हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। बिस्तर पर लेटे हुए भी उनकी एक ही उम्मीद है - बेटे के कातिलों को उनके किए की सज़ा मिले। वो कहते हैं, "एक लंबी लड़ाई लड़ी है, अब भरोसा है कि न्याय पूरा होगा।"

इस हत्याकांड ने दशहरे के पावन पर्व पर ऐसा दाग लगाया था कि हालात काबू करने के लिए पीएसी और रैपिड एक्शन फोर्स तक को मैदान में उतरना पड़ा था। जब स्थिति नहीं संभली, तो खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले में दखल दिया और यूपी एटीएस चीफ अमिताभ यश को हालात सामान्य करने की ज़िम्मेदारी सौंपी।

आज जब फैसला आने वाला है, तो प्रशासन ने भी पूरी तैयारी कर ली है। महराजगंज इलाके में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और पुलिस लगातार गश्त कर रही है, ताकि किसी भी तरह का तनाव न फैले। अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि फैसले के बाद किसी को भी भीड़ इकट्ठा करने या माहौल बिगाड़ने की इजाजत नहीं होगी।

इस मामले में दीवानी न्यायालय के वरिष्ठ वकीलों का कहना है कि दोषियों पर लगी कुछ धाराएं बेहद गंभीर हैं, जिनमें अधिकतम सज़ा के तौर पर फांसी और आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। अब देखना यह है कि अब्दुल हमीद, फहीम, सरफराज, मोहम्मद तालिब समेत अन्य दोषियों को अदालत क्या सज़ा सुनाती है। यह फैसला सिर्फ एक परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक नज़ीर बनेगा।