नेपाल और चीन से तनातनी शुरू होने से पहले भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट के 1642 सैनिक छुट्टियों पर अपने-अपने घर गए थे। इस बीच लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के दूसरे दिन 17 जून को तीनों सेनाओं को पूरी तरह अलर्ट पर रहने को कहा गया। इसी के साथ थल सेना, नौसेना और वायुसेना में सभी तरह की छुट्टियों को रद्द कर दिया गया। अवकाश पर गए सभी सैनिकों को 72 घंटे के भीतर रिपोर्ट करने के आदेश दिए गए।
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सेना का फरमान मिलते ही गोरखा सैनिक भी अपनी ड्यूटी पर लौटने की तैयारियों में लग गए। इस बीच नेपाल ने उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले के दुर्गम ऊंचाई वाले स्थानों और आसपास के अन्य ऊंचे इलाकों जैसे कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को अपने मानचित्र मेें दर्शाकर नेपाली संसद में प्रस्ताव भी पारित किया है। इस वजह से चीन के साथ चल रहे गर्म माहौल के बीच नेपाल से भी तनातनी और बढ़ गई।
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भारत में भी पहाड़ी इलाकों पर ज्यादातर गोरखा जवान ही तैनात रहते है। गोरखा सैनिकों के बारे में यह भी कहा जाता है कि पहाड़ों पर उनसे बेहतर लड़ाई कोई और नहीं लड़ सकता है। हाल ही में इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) देहरादून से तीन नेपाली नागरिक ट्रेनिंग पूरी होने के बाद भारतीय सेना में शामिल हुए हैं। नेपाली प्रतिबंधित संगठन के विरोध के बावजूद गोरखा नेपाली सैनिकों ने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य को समझते हुए मोर्चे पर लौटना उचित समझा।
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छुट्टियों पर गए गोरखा रेजिमेंट के 1642 सैनिक सेना का फरमान पाकर वापस ड्यूटी पर लौटे। नेपाल सीमा के रास्ते भारत आ रहे गोरखा जवानों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। मेडिकल चेकअप के बाद उन्हें आगे के लिए भेजा गया। गोरखा सैनिक इस समय भारत लौटकर 39 जीटीसी वाराणसी में डेरा डाले हुए हैं जिन्हें विशेष सैन्य विमानों से उनसे संबंधित इकाइयों में भेजा जाएगा।