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Up Kiran, Digital Desk: गंभीरा पुल हादसे ने गुजरात में तबाही मचा दी है। वडोदरा और आणंद को जोड़ने वाले 40 साल पुराने पुल का एक हिस्सा महिसागर नदी में गिर गया, जिससे 17 लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक ही परिवार के कई लोग शामिल हैं। मृतकों की संख्या बढ़ने के साथ, तीन लोग अभी भी लापता हैं और उनकी तलाश में युद्धस्तर पर काम चल रहा है। इस मामले में चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।
पादरा कस्बे के पास गंभीरा गाँव के पास बुधवार सुबह हुए इस भीषण हादसे ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। पुल के साथ कई वाहन नदी के गहरे दलदल में डूब गए। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीमें घायलों को बचाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही हैं, लेकिन लगातार हो रही बारिश और नदी में गहरा कीचड़ बचाव अभियान के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहा है। वडोदरा के ज़िला मजिस्ट्रेट अनिल धमेलिया ने कहा, "बारिश और दलदल के कारण मशीनों का इस्तेमाल मुश्किल हो गया है।"
सरकार ने तत्काल कार्रवाई की, लेकिन सवाल अभी भी बरकरार!
इस घटना के बाद, गुजरात सरकार ने तत्काल और सख्त कदम उठाते हुए सड़क एवं भवन विभाग के चार इंजीनियरों को निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गुरुवार को ही इस कार्रवाई का आदेश दिया था। हालाँकि अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करके सरकार की भूमिका की सराहना हो रही है, लेकिन इस त्रासदी के पीछे कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या हमने पिछली घटनाओं से सबक नहीं लिया है?
2021 से अब तक गुजरात में कम से कम छह बड़े पुल ढहने की घटनाएँ हो चुकी हैं। इनमें से सबसे भयावह अक्टूबर 2022 में मोरबी में हुई, जहाँ एक ब्रिटिशकालीन सस्पेंशन ब्रिज ढह गया, जिसमें 135 निर्दोष लोगों की मौत हो गई। मोरबी त्रासदी के बाद भी सरकार सक्रिय होने का दावा करती है, लेकिन यह नई त्रासदी प्रशासन की कार्यकुशलता पर सवाल उठा रही है। आम लोगों के मन में यह सवाल कौंध रहा है कि पुराने, खतरनाक पुल की उपेक्षा क्यों की जा रही है।
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