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इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच ने एक बार फिर स्कूलों के विलय (School Merger) के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका राज्य सरकार की "स्कूल विलय योजना" के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें यह कहा गया था कि इस योजना से छात्रों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ेगा और ग्रामीण इलाकों के बच्चों को पढ़ाई में परेशानी होगी।

याचिकाकर्ता का कहना था कि स्कूलों के आपस में विलय से बच्चों को ज्यादा दूरी तय करनी पड़ेगी और इससे ड्रॉपआउट (छोड़ने) की संख्या बढ़ सकती है। इसके अलावा शिक्षकों की संख्या भी कम हो जाएगी, जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।

हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार के तर्कों को मानते हुए याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि स्कूलों का विलय सरकार की शिक्षा नीति का हिस्सा है और इसका उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाना है। सरकार ने यह भी बताया कि छात्रों को किसी तरह की असुविधा न हो, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। कोर्ट ने यह मान लिया कि यह फैसला छात्रों के हित में है और इसमें कोई कानून का उल्लंघन नहीं हो रहा।

राज्य सरकार का कहना है कि स्कूलों के विलय से संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा और शिक्षकों की तैनाती भी प्रभावी ढंग से हो पाएगी। साथ ही, इससे शैक्षिक गुणवत्ता भी सुधरेगी।

डबल बेंच के इस फैसले के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार की योजना को कानूनी समर्थन मिला है और आगे इसे लागू करने में कोई बाधा नहीं है।

 

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