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Up Kiran, Digital Desk: 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े एक बड़े मामले में, दिल्ली हाईकोर्ट ने छात्र नेता उमर खालिद, शरजील इमाम और एक अन्य आरोपी तस्लीम अहमद को जमानत देने से इनकार कर दिया है। ये सभी आरोपी कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, यानी UAPA के तहत गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं।

यह फैसला जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनीश दयाल की बेंच ने सुनाया। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि पहली नज़र में इन आरोपियों के खिलाफ लगे आरोप सही लगते हैं।

कोर्ट ने क्यों नहीं दी जमानत: अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इन आरोपियों के खिलाफ जो आरोप हैं, वे बेहद गंभीर हैं। कोर्ट ने माना कि यह मामला सिर्फ एक सामान्य विरोध प्रदर्शन का नहीं था, बल्कि एक सोची-समझी और "सुनियोजित, बहु-स्तरीय साजिश" (pre-planned, multi-layered conspiracy) का हिस्सा था।

कोर्ट ने कहा कि इस साजिश का मकसद देश में अशांति और अस्थिरता फैलाना था, ताकि चुनी हुई सरकार को काम करने से रोका जा सके।

क्या थे आरोप: दिल्ली पुलिस के अनुसार, उमर खालिद और शरजील इमाम पर दिल्ली में दंगे भड़काने के लिए "मास्टरमाइंड" होने का आरोप है। अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि उन्होंने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, या CAA के विरोध की आड़ में हिंसा की साजिश रची थी। उन पर आरोप है कि उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए और विरोध प्रदर्शनों को उग्र बनाने के लिए लोगों को उकसाया, जिसके कारण फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क उठे थे।

इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

UAPA के तहत मामला: आरोपियों पर UAPA के तहत मामला दर्ज होने के कारण उन्हें जमानत मिलना बेहद मुश्किल हो गया है। यह कानून राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़े मामलों में लगाया जाता है।

उमर खालिद और शरजील इमाम को 2020 में गिरफ्तार किया गया था और वे तब से ही जेल में हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद, फिलहाल उनके जेल से बाहर आने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं।

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