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Up kiran,Digital Desk : क्या आपको टीवी का वो आइकॉनिक शो 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' याद है? 2002 का वो दौर और वो किरदार आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। उसी शो के सेट पर एक ऐसी प्रेम कहानी शुरू हुई थी, जिसने आज 23 साल बाद एक बेहद खूबसूरत मोड़ लिया है। हम बात कर रहे हैं टीवी के मशहूर कपल अश्लेषा सावंत और संदीप बसवाना की।

बिना शादी के एक छत के नीचे 23 साल गुजारने के बाद, इस जोड़े ने आखिरकार अपने रिश्ते को एक नया नाम दे दिया है। लेकिन जिस सादगी और पवित्रता से उन्होंने यह कदम उठाया, उसने सभी का दिल जीत लिया है।

वृंदावन ही क्यों चुना? वजह बेहद प्यारी है

अक्सर सितारे अपनी शादी के लिए डेस्टिनेशन वेडिंग या बड़े रिसॉर्ट्स चुनते हैं, लेकिन अश्लेषा और संदीप ने चुना कान्हा का धाम- वृंदावन। 16 नवंबर को चंद्रोदय मंदिर में सिर्फ अपने परिवार और खास दोस्तों के बीच इन्होंने सात फेरे लिए।

इस फैसले के पीछे की कहानी बताते हुए संदीप ने कहा कि इसी साल अप्रैल में वे दोनों वृंदावन गए थे। वहां राधा-कृष्ण के मंदिरों में उन्हें एक अजीब सा सुकून और गहरा आध्यात्मिक जुड़ाव महसूस हुआ। बस वहीं तय हो गया कि अगर शादी करनी है, तो ठाकुर जी के चरणों में ही करेंगे। उनके माता-पिता भी सालों से इस दिन का इंतजार कर रहे थे, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था।

23 साल का लंबा इंतजार क्यों?

फैंस के मन में यह सवाल आना लाजमी है कि जब इतना प्यार था, तो शादी के लिए 23 साल क्यों लग गए? इस पर संदीप ने बड़े ही मजाकिया अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा, "सच कहूं तो हम लोगों के इस सवाल से थक चुके थे कि आप दोनों शादी कब कर रहे हो? बस इसी का जवाब देने के लिए हमने ये फैसला कर लिया।"

वैसे गंभीरता से देखें तो संदीप का मानना है कि अश्लेषा और वो मन से हमेशा एक-दूसरे के लिए पति-पत्नी ही थे। शादी बस एक रस्म थी जो अब पूरी हो गई।

गुलाबी जोड़े में सादगी ने जीता दिल

अश्लेषा ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए बताया कि वृंदावन में शादी करना एक अचानक लिया गया लेकिन दिल से जुड़ा फैसला था। सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरों में यह जोड़ा पिंक कलर के वेडिंग आउटफिट में बेहद प्यारा लग रहा है। न कोई तामझाम, न कोई शोर-शराबा, बस प्यार और परिवार का साथ। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, "और बस... मिस्टर और मिसेज के रूप में हमने नए अध्याय में कदम रखा।"

वाकई, 2002 में शुरू हुई यह दोस्ती, प्यार में बदली और आज दो दशक बाद भी उतनी ही तरोताजा है। इस कपल ने साबित कर दिया कि प्यार को किसी कागज के टुकड़े या रस्म की जल्दी नहीं होती, बस साथ सच्चा होना चाहिए।