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26/11 हमलों के मुख्य आरोपियों में से एक तहव्वुर हुसैन राणा ने हाल ही में भारत में पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

राणा, जो पाकिस्तान की आर्मी मेडिकल कॉर्प्स में डॉक्टर रह चुके हैं, बाद में कनाडा और अमेरिका चले गए। उसने बताया कि वह लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी डेविड कोलमैन हेडली का बचपन का दोस्त था और हेडली को भारत की यात्रा के लिए वीजा दिलाने में उसकी मदद की थी  । इसके अलावा, हेडली के साथ मिलकर तहव्वुर ने मुंबई में एक ऑफिस भी खोला, जिसका इस्तेमाल हमलों की रेकी के लिए किया गया  ।

पूछताछ में राणा ने स्पष्ट किया कि इस पूरी साजिश के पीछे पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की भूमिका थी। उसने कहा है कि पाकिस्तान में बैठे हाफिज सईद और लश्कर कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी को सुरक्षित स्थानों पर रखा गया क्योंकि राणा आगे और खुलासे कर सकता था  ।

सबसे बड़ा खुलासा यह था कि राणा ने हेडली को चेतावनी दी थी कि “भारतीय ऐसे ही लायक हैं” और उसने हमले में मारे गए नौ लश्कर आतंकी को पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान ‘निशान-ए-हैदर’ दिलवाने की बात कही थी  । इस खुलासे से साफ था कि हमले को पाकिस्तान द्वारा बड़े सम्मान के साथ देखा जा रहा था।

भारत में लाए जाने के बाद राणा की 18 दिनों की कस्टडी निर्धारित हुई, जिसमें एनआईए और क्राइम ब्रांच ने गहन पूछताछ की  । अब उसे 30 दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेजा गया है  । इसके साथ ही तिहाड़ जेल प्रशासन से उसकी सुरक्षा संबंधी सुविधाओं पर भी रिपोर्ट मांगी जा रही है  ।

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी भारत प्रत्यर्पण याचिका को खारिज कर दिया था, जिससे भारत में मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया  । राणा का माना जाना है कि उसकी गवाही से पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगनाओं और खुफिया एजेंसियों के खिलाफ ठोस सबूत मिल सकते हैं  ।

इस प्रकार, तहव्वुर राणा के दावों से 26/11 हमले की साजिश में पाकिस्तान की सीधी भागीदारी की पोल खुलती दिख रही है, और आने वाले दिनों में इससे महत्वपूर्ण राज सामने आने की उम्मीद है।

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