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Up Kiran, Digital Desk: 6 सितंबर दोपहर सिरोही जिले के मातर माता मंदिर में भयावह स्थिति पैदा हो गई। धार्मिक आयोजन में आए करीब 290 श्रद्धालु अचानक आई बाढ़ के कारण मंदिर परिसर में फंस गए। पहाड़ी से उमड़ते पानी का तेज बहाव इतना खतरनाक था कि लोग बाहर निकल ही नहीं पाए। मंदिर की सीढ़ियाँ पूरी तरह डूब गईं और श्रद्धालु घबराहट में मदद की गुहार लगाने लगे।
लगभग 12:30 बजे पुलिस कंट्रोल रूम से एसडीआरएफ को सूचना दी गई कि सैकड़ों लोग मंदिर में कैद हैं और हालात बेहद नाजुक हैं। खबर मिलते ही कमांडेंट राजेंद्र सिंह सिसोदिया ने टीम रवाना की। प्रभारी ओम सिंह आठ जवानों और उपकरणों के साथ तुरंत घटनास्थल पहुँचे। लगभग 1 बजे जब टीम मौके पर पहुँची तो दृश्य बेहद डरावना था चारों ओर पानी का शोर, श्रद्धालुओं की चीखें और डूबा हुआ मार्ग। सामान्य रास्ते से निकालना नामुमकिन था।
ऐसे में टीम कमांडर ने जोखिम उठाते हुए श्रद्धालुओं को रस्सी के सहारे पहाड़ी से नीचे उतारने का फैसला किया। यह बेहद खतरनाक काम था क्योंकि छोटी सी गलती से बड़ी त्रासदी हो सकती थी। टीम के जवान अर्जुनराम, संजय मेहरा, भैराराम, भगवानराम, महेंद्र राणा, दिनेश कुमार और रोहिताश्व तुरंत जुट गए। उन्होंने मंदिर से नीचे तक मजबूत रस्सी बांधी और बचाव अभियान शुरू किया।
बच्चे, महिलाएँ और बुजुर्ग हर किसी को रस्सी के सहारे धीरे-धीरे सुरक्षित स्थान तक पहुँचाया गया। हर बार किसी श्रद्धालु के नीचे उतरने पर थोड़ी राहत मिलती, लेकिन सैकड़ों जानें अभी बचानी बाकी थीं।
निरंतर चार घंटे तक जवान पानी और अंधेरे से जूझते रहे। आखिरकार शाम 5 बजे जब अंतिम श्रद्धालु को भी सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, तो पूरे क्षेत्र में तालियों की गूंज सुनाई दी। यह साहस और समर्पण से भरा रेस्क्यू अभियान सभी के लिए मिसाल बन गया।