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Up Kiran, Digital Desk: ओडिशा के पुरी में 27 जून को शुरू हुई जगन्नाथ रथ यात्रा ने एक बार फिर जगन्नाथ मंदिर की अपार संपदा को चर्चा में ला दिया है। इस रथ यात्रा में हर साल की तरह लाखों श्रद्धालु जुट रहे हैं। इस भव्य उत्सव के साथ-साथ मंदिर की ऐतिहासिक और आर्थिक संपदा की भी चर्चा हो रही है।
मंदिर के पास है अपार संपदा
जगन्नाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। मंदिर की संपदा का अनुमानित मूल्य करीब 150 करोड़ रुपये है। इतना ही नहीं, मंदिर के पास 30,000 एकड़ से अधिक जमीन भी है, जो इसे देश के चुनिंदा मंदिरों में से एक बनाती है। मंदिर का रखरखाव श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) करता है, जो ओडिशा सरकार के अधिकार क्षेत्र में है।
46 साल बाद खुला 'रत्न भंडार'
मंदिर के अंदर स्थित 'रत्न भंडार' 46 साल बाद 18 जुलाई 2024 को खोला गया था। तब से ही इसमें मिले खजाने और इसकी कीमत को लेकर बहस चल रही है। सोने, चांदी, हीरे और कीमती पत्थरों से भरे इस खजाने की शुरुआती अनुमानित कीमत 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा बताई जा रही है।
18 जुलाई 2024 की सुबह 11 सदस्यों की एक समिति ने इस रत्न भंडार को खोला। इसके अंदर तीन मोटे कांच की अलमारियाँ, एक बड़ी लोहे की अलमारी और सोने से भरे कई बक्से मिले। ये बक्से इतने भारी थे कि इन्हें अपनी जगह से हिलाया भी नहीं जा सकता था। इसलिए, टीम ने 7 घंटे तक कड़ी मेहनत करके इनमें से सामान निकाला और उन्हें सीधे भगवान जगन्नाथ के शयनकक्ष में ले जाया गया।
209 किलो सोने से सजी मूर्ति
जगन्नाथ संस्कृति के जानकारों के अनुसार, दोनों दुकानों में मिले सोने और आभूषणों की कीमत 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो सकती है और रत्नों का सही मूल्यांकन होना अभी बाकी है। गौरतलब है कि कुछ खास मौकों पर भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को 209 किलो सोने से सजाया जाता है, जिससे मंदिर की भव्यता और बढ़ जाती है। यह मंदिर 12वीं शताब्दी में बना था और चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है।
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