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गुजरात के अमरेली जिले में पिछले दो वर्ष यानि 24 महीनों से निरंतर भूकंप आ रहे हैं। बीते 2 वर्षों में यहां 399 से अधिक जलजले दर्ज किए गए हैं। भूकंप विज्ञान की भाषा में इस प्रकार के भूकंप को भूकंप झुंड कहा जाता है। झुंड कम तीव्रता वाले भूकंपों की एक श्रृंखला है। ये झटके कम वक्त के लिए महसूस किए जाते हैं। परन्तु उन्हें कई दिनों तक महसूस किया जाता है। अमरेली जिले के मिटियाला गांव के गांव के लोगों को भूकंप के झटकों से इतना झटका लगा है कि अब वे एहतियात के तौर पर अपने घरों के बाहर ही सोने लगे हैं।

मितियाला के एक ग्रामीण ने कहा कि इन झटकों के डर से सरपंचों समेत गांव के ज्यादातर लोग रात में बाहर सोने लगे हैं। इस बीच, गांधीनगर में भूकंप अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक सुमेर चोपड़ा ने कहा कि इन भूकंपीय हलचलों का कारण टेक्टोनिक अनुक्रम और जल भार है। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल और दो महीने के दौरान अमरेली में 400 भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए हैं। उन भूकंपों में से 86 प्रतिशत परिमाण 2 से कम थे। जबकि 13 % भूकंप 2 और 3 की तीव्रता के बीच के थे। केवल पांच झटकों की तीव्रता 3 से अधिक थी।

उन्होंने कहा कि भूकंप के अधिकतर झटके लोगों ने महसूस नहीं किए। इसलिए वे हमारे डिवाइस पर रिकॉर्ड किए गए। अमरोली सहित सौराष्ट्र का अधिकांश भाग भूकंपीय क्षेत्र 3 के अंतर्गत आता है। खतरे की दृष्टि से यह इलाका मध्यम खतरे की श्रेणी में है। अमरेली में फॉल्ट लाइन 10 किमी तक है। तेज भूकंप के लिए यह लाइन 60 से 70 किलोमीटर की होती है। 4।4 तीव्रता का सबसे अधिक भूकंप 130 साल पहले 1891 में अमरेली में आया था। सौराष्ट्र क्षेत्र में सबसे बड़ा भूकंप 2011 में जूनागढ़ में आया था।

 

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