
Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक के उडुपी में इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सिर्फ एक दिन का नहीं, बल्कि पूरे 48 दिनों का भव्य उत्सव बनने जा रहा है! यह देश का शायद सबसे लंबा जन्माष्टमी महोत्सव होगा, जो भक्ति और उल्लास से पूरे शहर को सराबोर कर देगा। यह अद्भुत आयोजन 26 अगस्त को चतुर्थी के दिन शुरू होगा और 13 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा तक चलेगा।
भव्य आयोजन और अनूठे अनुष्ठान
इस 48 दिवसीय महोत्सव का मुख्य आकर्षण 26 अगस्त को मनाया जाने वाला श्री कृष्ण जन्माष्टमी और उसके अगले दिन (27 अगस्त) होने वाला प्रसिद्ध विट्ठल पिंडी (मोसरु कुडिके) उत्सव होगा। ये दोनों दिन उडुपी में विशेष उत्साह और भव्यता के साथ मनाए जाते हैं, जब हजारों भक्त भगवान कृष्ण के दर्शन और आशीर्वाद के लिए उमड़ पड़ते हैं।
पयर्या श्री कृष्ण मठ और मंदिर प्रशासन ने इस महायज्ञ की व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। इन 48 दिनों के दौरान, विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनमें प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ शामिल होंगी।
विशेष अनुष्ठान और प्रसाद वितरण:
लक्ष तुलसी अर्चना: इस दौरान भगवान कृष्ण को एक लाख से अधिक तुलसी के पत्ते अर्पित किए जाएंगे, जो भक्ति और श्रद्धा का एक अनुपम दृश्य होगा।
अक्की कडले (चावल और चना): भगवान को विशेष रूप से 'अक्की कडले' का प्रसाद चढ़ाया जाएगा।
विशेष लड्डू: भक्तों के लिए ढेर सारे लजीज लड्डू बनाए जाएंगे और प्रसाद के रूप में वितरित किए जाएंगे।
संस्कृति और लोक कला का प्रदर्शन: उत्सव के दौरान 'हुली वेश' (टाइगर डांस) भी एक प्रमुख आकर्षण होगा, जहाँ कलाकार बाघ की वेशभूषा में पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत करेंगे। यह नृत्य उडुपी की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। शहर को शानदार ढंग से सजाया जाएगा और चारों ओर उत्सव का माहौल होगा।
सुरक्षा और व्यवस्था: इस बड़े आयोजन के लिए सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। पुलिस, यातायात नियंत्रण, पार्किंग की उचित व्यवस्था, चिकित्सा सुविधाएं, अग्निशमन सेवा, पानी की आपूर्ति और स्वयंसेवकों की तैनाती सुनिश्चित की जाएगी ताकि भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
पयर्या श्री कृष्ण मठ के प्रमुख स्वामी विद्यासागरतीर्थ ने इस महोत्सव की देखरेख की जिम्मेदारी संभाली है। उनके साथ स्वामी विश्वप्रसन्नतीर्थ और स्वामी विद्याधीशतीर्थ जैसे अन्य पूज्य स्वामी भी इस आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
यह महोत्सव सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और समुदाय के एक साथ आने का प्रतीक है। उडुपी का यह 48 दिवसीय कृष्ण जन्मोत्सव निश्चित रूप से भक्तों के दिलों में एक अविस्मरणीय छाप छोड़ेगा।
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