
Up Kiran, Digital Desk: धन की देवी माता महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का एक अत्यंत शुभ और फलदायी मार्ग है महालक्ष्मी व्रत। यह व्रत, जो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक, यानी 16 दिनों तक चलता है (तिथियों के घटने-बढ़ने के कारण अवधि में थोड़ा परिवर्तन हो सकता है), जीवन में धन, ऐश्वर्य, सुख और समृद्धि लाने का एक शक्तिशाली माध्यम माना जाता है। इस व्रत के महात्म्य का वर्णन पुराणों में भी मिलता है, जहाँ यह बताया गया है कि इसे विधि-विधान से करने पर माता लक्ष्मी स्वयं घर पधारती हैं और स्थायी रूप से निवास करती हैं।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व और कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय की बात है, एक नगर में एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण रहता था। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था और उनकी नित्य पूजा-अर्चना करता था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और उसकी इच्छा पूछी। ब्राह्मण ने भगवान विष्णु से वरदान मांगा कि उसके घर में धन की देवी महालक्ष्मी का स्थायी निवास हो।
भगवान विष्णु ने उसे उपाय बताते हुए कहा कि मंदिर के सामने एक वृद्ध स्त्री रोज उपले थापने आती है, तुम उसे अपने घर आने का निमंत्रण देना। जब उस ब्राह्मण ने उस वृद्ध स्त्री (जो वास्तव में स्वयं देवी महालक्ष्मी थीं) को घर आने को कहा, तो देवी समझ गईं कि यह सब भगवान विष्णु की आज्ञा से हो रहा है। देवी महालक्ष्मी ने ब्राह्मण से कहा कि यदि तुम चाहते हो कि तुम्हारा घर धन-धान्य से भर जाए, तो तुम 16 दिनों तक मेरा महालक्ष्मी व्रत करो। इस व्रत में 16 रातों तक चंद्रमा को अर्घ्य देना होता है।
ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार महालक्ष्मी व्रत का विधि-विधान से पालन किया और उत्तर दिशा की ओर मुख करके देवी को पुकारा। उसकी अटूट भक्ति और व्रत के प्रताप से प्रसन्न होकर, देवी महालक्ष्मी स्वयं उसके घर पधारीं और उसका घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया। तभी से इस व्रत का महात्म्य और बढ़ गया।
एक अन्य कथा के अनुसार, जब पांडवों ने अपना सब कुछ जुए में हार दिया था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें महालक्ष्मी व्रत करने की सलाह दी थी। इस व्रत के प्रताप से पांडवों का खोया हुआ राज्य और धन-संपत्ति पुनः प्राप्त हुई थी।
2025 में महालक्ष्मी व्रत कब है?
साल 2025 में, महालक्ष्मी व्रत 31 अगस्त 2025 (रविवार) से शुरू होकर 14 सितंबर 2025 (रविवार) को समाप्त होगा।
आरंभ तिथि: 30 अगस्त 2025, शुक्रवार रात 10:46 बजे से अष्टमी तिथि का प्रारंभ।
समापन तिथि: 1 सितंबर 2025, सोमवार रात 12:57 बजे तक अष्टमी तिथि का समापन।
मुख्य व्रत अवधि: 31 अगस्त से 14 सितंबर 2025।
महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि
इस व्रत को विधि-विधान से करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है:
शुभ मुहूर्त में स्नान: व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थल की तैयारी: एक साफ चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और उस पर देवी महालक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
कलश स्थापना: चौकी के पास एक कलश में जल, गंगाजल, सुपारी, हल्दी, कुमकुम, फूल और आम के पत्ते रखकर नारियल स्थापित करें।
देवी का श्रृंगार: माता लक्ष्मी को लाल या सफेद फूल, अक्षत, सिंदूर, कुमकुम, रोली और श्रृंगार का सारा सामान अर्पित करें।
भोग: माता को खीर, बताशे, मिठाई, फल आदि का भोग लगाएं।
मंत्र जाप: देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें, जैसे -
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः॥”
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥”
“ॐ महालक्ष्म्यै नमः”
कथा श्रवण: पूजा के दौरान या शाम को महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।
आरती: देवी लक्ष्मी की आरती करें।
16 दिनों का अनुष्ठान: यदि संभव हो तो 16 दिनों तक माता की पूजा करें। यदि 16 दिन संभव न हो, तो प्रथम और अंतिम अष्टमी तिथि को व्रत रखना फलदायी होता है।
अर्घ्य: रात में चंद्रमा को अर्घ्य अवश्य दें।
दान-पुण्य: व्रत के दौरान और समापन पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा दें।
वैकल्पिक (कम दिनों का व्रत):यदि आप 16 दिनों तक व्रत नहीं रख सकते, तो केवल प्रथम 3 या अंतिम 3 दिनों का व्रत रख सकते हैं।
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