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Up Kiran, Digital Desk: बांग्लादेश में हाल के वर्षों में बढ़ती अस्थिरता और हिंसा के कारण वहां के हिंदू समाज के लिए संकट की घड़ियां आ गई हैं। देश में लोकतंत्र कमजोर हुआ है, साथ ही संस्कृति, परंपरा और धार्मिक स्थल भी खतरे में हैं। कभी भारत का हिस्सा और बंगाली संस्कृति का अहम हिस्सा रहे इस देश में सनातन धर्म से जुड़ी कई प्राचीन मंदिर और शक्तिपीठ अब असुरक्षित हो चुके हैं। सवाल यह है कि इन 7 ऐतिहासिक हिंदू शक्तिपीठों की सुरक्षा के लिए मोदी सरकार कौन से कदम उठाएगी?

बांग्लादेश के 7 प्रमुख शक्तिपीठ और उनकी मान्यता

1. जेसोरेश्वरी शक्तिपीठ – सतखिरा
जेसोरेश्वरी शक्तिपीठ को ज्येष्ठा काली मंदिर भी कहा जाता है। यह सतखिरा जिले के श्यामनगर उपजिले के ईश्वरपुर गांव में स्थित है। मान्यता है कि यहां देवी सती की हथेली गिरी थी। इस मंदिर का रूप लगभग 400 साल पुराना है और 2021 में इसका सौंदर्यीकरण हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर का दौरा किया और मां काली को सोने का मुकुट अर्पित किया था।

2. सुगंधा शक्तिपीठ – शिकारपुर
सुगंधा शक्तिपीठ देवी सुनंदा या उग्रतारा को समर्पित है और शिकारपुर में सुनंदा नदी के किनारे स्थित है। कहा जाता है कि यहां देवी सती की नाक गिरी थी। यह 51 शक्तिपीठों में एक है और स्थानीय हिंदू समुदाय के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। 1971 में यहां कई मूर्तियों की लूट हुई थी, लेकिन बाद में इन्हें पुनः स्थापित किया गया।

3. चट्टल मां भवानी शक्तिपीठ – सीताकुंडा
चट्टल मां भवानी शक्तिपीठ चटगांव जिले के चंद्रनाथ पर्वत पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां देवी सती की ठुड्डी का हिस्सा गिरा था। यहां माता भवानी के रूप में पूजा जाती हैं और उनके भैरव चंद्रशेखर माने जाते हैं।

4. जयंती शक्तिपीठ – कनाईघाट
सिलहट जिले के कनाईघाट उपजिले में स्थित जयंती शक्तिपीठ में देवी सती की बाईं जांघ गिरी थी। यह शक्तिपीठ बौरबाग गांव में फैला हुआ है और स्थानीय हिंदू समुदाय के लिए श्रद्धा का केंद्र है।

5. महालक्ष्मी शक्तिपीठ – सिलहट
गोटाटिकर, सिलहट में स्थित महालक्ष्मी शक्तिपीठ में देवी महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि यहां देवी की गर्दन का हिस्सा गिरा था। यहां के भैरव संभरानंद हैं। पाटरा समुदाय आज भी इस मंदिर की सुरक्षा में सक्रिय है।

6. स्रवानी शक्तिपीठ – कुमीरग्राम
कुमीरग्राम में स्थित यह शक्तिपीठ देवी सती की रीढ़ की हड्डी के गिरने की मान्यता के साथ गुप्त शक्तिपीठों में आता है। यहां देवी को सर्वाणी या श्रावणी देवी कहा जाता है और भैरव निमिषवैभव माने जाते हैं।

7. अपर्णा शक्तिपीठ – करतोया, शेरपुर
शेरपुर जिले के भवानीपुर गांव में स्थित अपर्णा शक्तिपीठ करतोया, यमुनेश्वरी और बूढ़ी तीस्ता तीन नदियों के संगम पर है। यहां देवी अपर्णा या भवानी की पूजा होती है और उनके भैरव वामन हैं। कहा जाता है कि यहां देवी सती का टखना गिरा था। यह मंदिर पाल काल का माना जाता है।