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Up kiran,Digital Desk : भारत ने अपनी स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। आकाश नेक्स्ट जेनरेशन यानी आकाश-एनजी एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के यूज़र ट्रायल सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं। इन सफल परीक्षणों के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि यह मिसाइल प्रणाली अब भारतीय सेना और वायुसेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार है।

आकाश-एनजी क्या है?
आकाश-एनजी, मौजूदा आकाश मिसाइल प्रणाली का उन्नत संस्करण है। इसे पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है। यह मिसाइल दुश्मन के लड़ाकू विमान, ड्रोन और क्रूज मिसाइल जैसे हवाई खतरों को बेहद सटीकता से नष्ट करने में सक्षम है। इसकी रेंज, गति और प्रतिक्रिया क्षमता पहले से कहीं बेहतर है, जिससे भारत की हवाई सुरक्षा और मजबूत होगी।

यूज़र ट्रायल में क्या हुआ?
यूज़र इवैल्यूएशन ट्रायल का मतलब है कि सेना खुद यह जांचती है कि सिस्टम युद्ध के दौरान कितनी सक्षम है। इन परीक्षणों में आकाश-एनजी ने तय सभी मानकों पर खरा उतरते हुए लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदा। इसके साथ ही यह साबित हो गया कि यह सिस्टम हर मौसम और अलग-अलग परिस्थितियों में भी पूरी तरह काम कर सकता है। अब इसे भारतीय सेना और वायुसेना में शामिल करने की राह पूरी तरह साफ हो गई है।

डीआरडीओ की एक और बड़ी उपलब्धि
इस महीने डीआरडीओ ने एक और अहम परीक्षण भी सफलतापूर्वक पूरा किया। यह फाइटर एयरक्राफ्ट पायलट एस्केप सिस्टम का हाई-स्पीड रॉकेट स्लेज टेस्ट था। इसे 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चंडीगढ़ स्थित टीबीआरएल केंद्र में किया गया। इस परीक्षण में पायलट की सुरक्षित निकासी से जुड़े सभी मानक पूरे हुए।

क्यों खास है यह एस्केप सिस्टम टेस्ट?
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह परीक्षण भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल करता है जिनके पास अत्याधुनिक एस्केप सिस्टम की स्वदेशी टेस्टिंग क्षमता है। इस डायनामिक इजेक्शन टेस्ट में एलसीए विमान के आगे वाले हिस्से में ड्यूल-स्लेज सिस्टम का इस्तेमाल किया गया और डमी पायलट के जरिए सभी दबाव, झटके और सुरक्षा मानकों को रिकॉर्ड किया गया।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत कदम
आकाश-एनजी मिसाइल और फाइटर एयरक्राफ्ट एस्केप सिस्टम जैसे परीक्षण यह दिखाते हैं कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है। विदेशी तकनीक पर निर्भरता घट रही है और स्वदेशी सिस्टम न सिर्फ विकसित हो रहे हैं, बल्कि सेना की जरूरतों पर पूरी तरह खरे भी उतर रहे हैं। आने वाले समय में यह भारत की सैन्य ताकत और रणनीतिक स्थिति को और मजबूत बनाएगा।