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तांबे के बर्तन में पानी पीने से पाचन क्रिया बेहतर होती है, जिससे खाना ठीक से पचता है और गैस व एसिडिटी कम होती है। तांबे के एंटीसेप्टिक गुणों के कारण शरीर संक्रमण से बेहतर तरीके से लड़ता है।

तांबा कोलेजन के उत्पादन में मदद करता है, जो जोड़ों को लचीला और मजबूत बनाए रखता है। तांबा त्वचा में मेलेनिन की मात्रा को संतुलित करता है, जिससे त्वचा चमकदार बनी रहती है और झुर्रियां कम होती हैं।

तांबे के एंटीऑक्सीडेंट कोशिकाओं को क्षति से बचाते हैं, जिससे कैंसर का खतरा कम हो जाता है। तांबा लौह अवशोषण में सुधार करता है, जिससे हीमोग्लोबिन बढ़ता है और एनीमिया दूर होता है।

शरीर में तांबे की कमी से उच्च रक्तचाप हो सकता है। सही मात्रा में तांबा लेने से रक्तचाप सामान्य रहता है। तांबे का पानी शरीर की वसा जलाने की क्षमता को बढ़ाता है, यहां तक ​​कि जब आप आराम कर रहे हों तब भी।

ऐसे करें इस्तेमाल

तांबे के बर्तन में रातभर (6-8 घंटे) पानी रखें और सुबह खाली पेट पिएं।  बर्तन को नियमित रूप से नींबू या बेकिंग सोडा से साफ करें ताकि ऑक्सीकरण न हो। न में 1-2 गिलास से ज्यादा तांबे का पानी न पिएं, क्योंकि ज्यादा कॉपर विषाक्तता (Copper Toxicity) का सबब बन सकता है।

इन लोगों को रहना चाहिए दूर

जिन लोगों को लीवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस या अन्य गंभीर लीवर समस्याएं हैं। उन्हें तांबे का पानी नहीं पीना चाहिए, क्योंकि कॉपर मेटाबॉलिज्म पर असर डाल सकता है।

छोटे बच्चों (विशेषकर 5 साल से कम उम्र) को तांबे का पानी देने से पहले बाल रोग एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि उनका शरीर कॉपर की अधिक मात्रा को संभाल नहीं पाता।

किडनी रोग या किडनी की कमजोरी वाले लोगों को कॉपर का ज्यादा सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। क्योंकि किडनी इसे ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाती।